जिंदगी का सफर शायरी | Shayari On Life
ज़ीस्त का सफ़र
Nigah Pe Shayari
Best Safar Shayar | Life Shayari In Hindi
चैन का दूर निगाहों से नगर कितना है।
ज़ीस्त का बाकी अभी जाने सफ़र कितना है।
अपनी मर्जी से न जीता है और न है मरता
मन में इंसान के इंसान का डर कितना है।
सोचकर आप ये दुनिया में न हर्गिज़ करना
नफ्अ कितना है मुहब्बत में,ज़रर कितना है।
आज़माता है ख़ुदा दे के जहां में अक्सर
दर्दो-ग़म सहने का इंसाँ में जिगर कितना है।
सामने पेश तू जब तक न करेगा हीरा
कैसे जानेगा कोई तुझ में हुनर कितना है।
हीरालाल हीरा
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