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दर्द की दास्तान शायरी|Dard Ki Dastan Shayari|अपना दर्द शायरी|मौत शायरी

दर्द की दास्तान शायरी Love Shayari

अपना दर्द शायरी

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Dard Ki Dastan Shayari

दर्द की दास्तान है जारी
हमने हिम्मत कभी नहीं हारी

मौत पर शायरी

आ गई मौत जूझने मुझसे
दुश्मनी पड़ गई उसे भारी

लोग ठोकर से टूट जाते हैं
हम पड़े आंधियों को हैं भारी

उस गली से कभी नहीं गुजरे 
जिंदा अपनी रखी है खुद्दारी

करती है बार वो सुनारों सा 
मेरी भी आयगी कभी बारी

साथ में तू रहा बहुत दिन तक
कर गया फिर भि मुझसे गद्दारी 

बन गया तेरी लइ मै बनजारा
बन सकी तू ना मेरी बनजारी

जुल्म पे रोज जुल्म ढाते हो
है नशा या तुम्हें है बीमारी

जान दें प्यार में नज़ाकत क्यूं
इतनी मत भी नहीं गयी मारी

नज़ाकत अली

उत्तराखंड

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