Ticker

6/recent/ticker-posts

Hindi poems on life values-जिंदगी की बेबसी पर कविता

संघर्षमय जीवन पर कविता बेबसी के मीनार

इस पोस्ट में आप पढ़ने वाले हैं संघर्षमय जीवन पर कविता बेबसी के मीनार, जिंदगी की राहों में कविता, कविता जीवन पर, जीवन का सफर कविता, उदास जिंदगी कविता, जिंदगी पर गजल और दोहा। Hindi Poems On Life. Hindi Poems On Life Inspiration. Poem On Truth Of Life In Hindi.

kavita in hindi

जिंदगी की राहों में कविता-Hindi Poems On Life

 कविता बेबसी के मीनार

मैं जब भी देखती हूँ
ऊंची, क़द्दावर इमारतों को
उनके तराशे हुए नक़्श को
उनमें गढ़े हुए बेल-बूटों को
सुरख़ाब के पूरे जैसे
उनके रंग-रौग़न को
उनके गोशे-गोशे में
बिखरी हुई रानाइयों को
उनके दरों-दीवारों पर आवेज़ा
तस्वीरों को
उनमें लिखी हुई तहरीरों को
जहाँपनाह! आलमपनाह!
बामुलाहिज़ा, होशियार!
आली जनाब तशरीफ़ ला रहें हैं
महसूस होता है अजीब सा दर्द
आंखों के कोने, थोड़े से नर्म हो जाते हैं
ज़ेहन में तस्वीर उभरती है–
उन लाचार, बेबस इंसानों की...
जिनका कोई नामो-निशान
तक नहीं इन महलों को,
गढ़ने वालों की लिस्ट में
महल के किनारे लगे शिलालेख
मैं ढूंढती हूँ बहुत,
बारीकी से इनका नाम...
जिन्होंने तोड़े होंगे पत्थर...
एक-एक ईंट रखी होगी...
महल की नींव की बुनियाद में
शामिल होगा जिनका पसीना
सारा-सारा दिन मशक्क़त की होगी,
दो वक़्त की रोटी के वास्ते...
कहीं कलम तो नहीं कर दिए गए,
इनके हाथ?
महलों की तामीर के जुर्म में?
ज़रूर ऐसा ही हुआ होगा...
अतिया नूर

उदास जिंदगी कविता-Poem On Truth Of Life In Hindi

 सोच रही हूँ 

सोच रही हूँ ख़त लिक्खूँ और बीता इक-इक पल लिख दूँ
आँखों से बहते अश्कों को आज मैं गंगाजल लिख दूँ।
बाबुल को इक ख़त लिक्खूँ और लिखूँ मैं तेरी गुड़िया रे
तेरे अँगना घर-घर खेली,उड़ गई बन के चिड़िया रे
तेरी गोदी पली-बढ़ी मैं बंहियन-बंहियन झूल गई
मैं थी तुमरी सोन-चिरैया अम्मा कैसे भूल गई
दादी-बाबा की यादें कर देती हैं विह्वल लिख दूँ
उनकी बूढ़ी काया को मैं रिश्तों का संबल लिख दूँ
आँखों से बहते अश्कों को आज मैं गंगाजल लिख दूँ
सोच रही हूँ ख़त लिक्खूँ और बीता इक-इक पल लिख दूँ।
इक ख़त लिक्खूँ नाम सखी के याद दिलाऊँ बचपन की
गुड्डे-गुड़ियाँ, तितली-झूले औऱ बातें अल्हड़पन की
भैया को राखी भेजूँ और भर दूं पेज शिकायत से
बाज़ आ जाओ लिख दूं उसको शैतानी की आदत से,
बहना को मैं लाड़ लिखूँ और थोड़ी सी पागल लिख दूँ
याद तुम्हारी जब-जब आई भीग गया आँचल लिख दूँ
आँखों से बहते अशकों को आज मैं गंगाजल लिख दूँ
सोच रही हूँ ख़त लिक्खूँ और बीता इक-इक पल लिख दूँ।
लेकिन युग मोबाइल का है ख़त की भाषा कौन गढ़े
ओके,बाय, टाटा,सी यू इसके आगे कौन पढ़े
मोबाइल ने माना सबके जीवन को आसान किया
सदियों की दूरी को पल हो जाने का वरदान दिया
लेकिन टाटा,सी यू पढ़ मन होता कब घायल लिख दूँ
ऐसी बातें सुन गोरी की  खनकी  कब पायल लिख दूँ
आँखों से बहते अश्कों को आज मैं गंगाजल लिख दूँ
सोच रही हूँ ख़त लिक्खूँ और बीता इक-इक पल लिख दूँ।
  अतिया नूर प्रयागराज 

Hindi Poems On Life Inspiration

दोहे

1-सिंहासन का त्याग कर,राम चले वनवास
आज अयोध्या रो पड़ी,देख अजब संत्रास।

2-सहनशीलता थी बहुत, माँ सीता के पास
वैभव सारा तज चलीं,राम संग वनवास।

3-लखन कहें प्रभु राम से,जोड़े अपना हाथ
भ्राता श्री लेकर चलें,मुझको अपने साथ।

4-हनुमत कहते राम से,मैं हूँ  केवल दास
मन मंदिर में है प्रभू, सदा तुम्हारा वास।

5-हे सीते तुम हो कहाँ, करके करुण पुकार
खग-मृग से प्रभु पूछते,सीता है किस द्वार।

6-युगों-युगों से गा रहा,जनमानस ये गीत
दुष्टों का संहार ही,रघुकुल वाली रीत।

6-पीर-पराई का रहे,जिसके दिल में ज्ञान
बापू कहते हैं इन्हें, वैष्णव जन तू मान।

7-रावण का भी हो गया   सकल चूर  अभिमान
प्रभो राम ने छोड़ दिए,उस पर ऐसे बाण।
अतिया नूर 
 काव्य कलश में प्रकाशित


Post a Comment

0 Comments