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Samajik Burai Motivational Shayari Social Evil Poem

कल्लाश रहनुमा समाज सुधार शायरी

Samajik Burai motivational shayari social evil poem

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हमारी कौम समाज पर शायरी

शाबाश ! रहनुमा हिन्दी प्रेरणादायक शायरी

 जदीद ग़ज़ल
कल्बी-व-जेहनी तौर पे कल्लाश रहनुमा !
हैं क्यो हमारी कौम के अय्याश रहनुमा !

शहवत-परस्त हैं सभी अय्याश रहनुमा !
हम को दिखाई देते हैं ओबाश रहनुमा !

उम्मीद तो नहीं थी, मगर इस जहान में, 
तुम कार-ए-नेक कर गये,शाबाश!,रहनुमा!

हाँ! कार-ए-खैर करने से खुश होता है खुदा!
तुम कार-ए-खैर करते हो,शाबाश!,रहनुमा!

अब कार-ए-नेक कोई कहाँ कर रहा है, दोस्त!
तुम कार-ए-नेक कर गये, शाबाश!,रहनुमा!

इम्कान तो नहीं था!,मगर इस जहान में, 
तुम इश्क-व-मेह्र कर गये, शाबाश!,रहनुमा!

हम लोगों में जगा रहे थे "आस" रहनुमा !
लेकिन सभी को दे गये हैं " यास" रहनुमा !

हमदर्द मुफलिसो के नहीं राह-बर,जनाब!
कब करते हैं गरीबी का एहसास, रहनुमा!

मेरे सभी सवालों पे फिर आ गये ले के, 
कुर-आन,और खामा-व-किर्तास,रहनुमा !

सारे कवि-व-शायरो के बन गए हैं ये, 
तुलसी, कबीर, कालि-व-रै-दास,रहनुमा !

हम-सब के राह-बर रहे थे रामचन्द्र जी !
किस्मत से काटते रहे बनबास, रहनुमा !

मेरे सभी प्रश्नों पे ही आ गये ले के, 
कुरआन, वेद,गीता-व-किर्तास, रहनुमा!

मेरा तो नोच ही न सके बाल राह-बर !
ऐ यार! अब उखाड़ते हैं घास,रहनुमा !

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नोट!: इस जदीद गजल के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे!
शायर : डॉक्टर रामचन्द्र दास प्रेमी राज चंडीगढ़ी,
द्वारा डॉक्टर इन्सान प्रेमनगरी,डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल, डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम, रांची हिल साईड, इमामबाड़ा रोड, रांची-834001
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