जिंदगी की तलाश शायरी | मंजिल की तलाश शायरी
ग़ज़ल
न ह़सीन कोई बंगला न बरी मकां तलाशो।
जो सँवारे ज़िन्दगी को वही मेहरबाँ तलाशो।
न ह़सीन कोई बंगला न बरी मकां तलाशो।
जो सँवारे ज़िन्दगी को वही मेहरबाँ तलाशो।
ह़सीं फूल हों जहाँ पर वही वादियाँ तलाशो।
नई ख़ुश्बुएँ जो चाहो नया गुल्सिताँ तलाशो।
न नगर की कोई बन्दिश न ही क़ैद गाँव की है।
जहाँ प्यार हो अमन हो वही बस्तियाँ तलाशो।
हसीन जिंदगी की तलाश में
जिसे पास हो ह़या का जिसे काम हो वफ़ा से।
जो क़रार दे जिगर को वही राज़दाँ तलाशो।
न वफ़ाएँ मेरी देखो न टटोलो मेरा बातिन।
तुम्हें ह़क़ है सिर्फ़ इतनामिरी गलतियाँ तलाशो।
जहाँ चैन हो सुकूँ हो जहाँ प्यार हो वफ़ा भी।
वही अन्जुमन तलाशो वही कारवाँ तलाशो।
यही मशविरा है मेरा ऐ फ़राज़ गर सुनो तुम।
जहाँ इ़ल्म के होमरकज़ वहीं आशियाँ तलाशो।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद
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