आपके दिल से दिल क्या मिला हीरिए।
लुत्फ़ जीने में आने लगा हीरिए।
लुत्फ़ जीने में आने लगा हीरिए।
दिल से चाहने वाली शायरी - दिल को छू जाने वाली शायरी
नग़मा
आपके दिल से दिल क्या मिला हीरिए।
लुत्फ़ जीने में आने लगा हीरिए।
आपके दिल से दिल क्या मिला हीरिए।
लुत्फ़ जीने में आने लगा हीरिए।
ख़ार भी फूल लगने लगे बाख़ुदा।
हो न जाना कभी आप मुझसे जुदा।
मिलते ही आप से हो गया यह यक़ीं।
कि ख़ुदा है मोहब्बत, मोहब्बत ख़ुदा।
दिल मिलाने की शायरी - शायरी दिल से दिल तक
आप के दिल से दिल क्या मिला हीरिए।लुत्फ़ जीने में आने लगा हीरिए।
आपकी जब से ह़ासिल मोहब्बत हुई।
ज़िन्दगी और भी ख़ूबसूरत हुई।
आप के मरमरी पाँव छू कर सनम।
पुर ख़तर राह भी मिस्ले जन्नत हुई।
दिल से दिल तक शायरी हिंदी में
आपके दिल से दिल क्या मिला हीरिए।
लुत्फ़ जीने में आने लगा हीरिए।
लुत्फ़ जीने में आने लगा हीरिए।
सर झुकाओ न ऐसे ऐ नाज़ुक परी।
मन के मन्दिर में होने लगी खलबली।
रूठना भी गवारा नहीं आप का।
आपकी हर खुशी अब है मेरी ख़ुशी।
Dil Se Mohabaat Shayari
आपके दिल से दिल क्या मिला हीरिए।लुत्फ़ जीने में आने लगा हीरिए।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद
मुह़ब्बत में अगर उजड़े न होते - प्यार मोहब्बत लव शायरी
ग़ज़ल
चलन होता अगर अच्छा हमारा।
न होता हाल यूँ ख़स्ता हमारा।
मुह़ब्बत में अगर उजड़े न होते।
न होता जाबजा चर्चा हमारा।
अगर हम सिदक़ दिलसे सिर झुकाते।
न होता रायगाँ सजदा हमारा।
तिरी तस्वीर से क्यों कर बहलता।
न होता दिल अगर बच्चा हमारा।
अगर हम रुख़ हवाओं के समझते।
न होता ख़त्म यूँ क़िस्सा हमारा।
यक़ीनन हारते हम हर क़दम पर।
न होता दिल अगर सच्चा हमारा।
फ़राज़ उनसे न रिश्ते यूँ बिगड़ते।
न होता उनपे गर क़र्ज़ा हमारा।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद
मोहब्बत के ख़्वाब शायरी - Mohabbat Shayari
ग़ज़ल
ख़्वाब मेरी आँखों का होगा यह ह़क़ीक़त क्या।
रास मुझ को आएगी आपकी मोहब्बत क्या।
जो ख़लिश भी है दिल में आपही की बख़्शिश है।
आप की इनायत की आप से शिकायत क्या।
सर फिरी हवाएँ हैं और रुत भी है मुहलिक।
जान ले के जाएगी अब के यह क़यामत क्या।
क्या ख़ुशी मनाएँ हम उनके मिलने आने की।
ख़्वाब ही तो देखा है ख़्वाब की ह़क़ीक़त क्या।
माँ अगर नहीं होती तब तो खौफ़ लाज़िम था।
वो है साथ जब अपने ह़ादसों की दहशत क्या।
आख़री सितम समझूँ इस सितम को या दिलबर।
और कोई बाक़ी है आप की इ़नायत क्या।
भूल जाते हैं अकसर वादा करके वो मुझसे।
ऐ फ़राज़ उन से भी आ गई सियासत क्या।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद
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