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ओस की बूँद मायुस क्यों? मायूसी शायरी Boond Mayus Kyon Mayusi Shayari

ओस की बूँद मायुस क्यों? मायूसी शायरी Boond Mayus Kyon Mayusi Shayari

ओस की बूँद मायुस क्यों?
मायुसी का आलम, गुजर यूँ हीं जाएगा।
सावन- भादो फिर आ बरस भिंगायेगा।।

जुंबिश ‌तेरी हल्की सी इक
बेशूमार हुश्न बरसाए जा रही है।
मुहब्बत की कजा फिर से-
 बेजुबां फरमाई जा रही है।।

ओस की बूँदें, होथों पर जरा ठहर जाने दो।
जी भर तिश्नगी, आज रब मिटाने दो।।

मायुसी का आलम, गुजर यूँ हीं जाएगा।
सावन- भादो फिर आ बरस भिंगाएगा।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
बेतिया, बिहार

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