फकीर का गुस्सा पाक साफ : गुस्सा शायरी इन हिंदी
गुस्सा शायरी
फकीर का गुस्सा पाक साफ है होता,
दुनियावी गुस्सा आय्याशी बदी जहर समान।
जहर पिलाये दुस्मन तो उसको दे उमरत जान।।
गुस्सा ज़ब्द कर ज़ेहन में मुक्कमल,
मस्ती में ज़िन्दगी जीने का हुनर सीखो।
रूह की खुशबुओं से,
दिल को मज़बूत बनाना सीखो।।
नेह, अमन-चैन दिल में,
है महफूज़ तुम्हारे,
दिल के आइने में,
रूह का अक्स तो देखो।
आग़ लगी है तन-बदन में,
ठन्डे पानी से बुझाना तो सीखो।
मुखौटा दर्द,
शिकस्त का लगा है उसके,
मुहब्बत की ताक़त से,
सर झुका के तो देखो।।
हैवान बना,
गुमनाम अँधेरी राहों का,
सफ़र में बहुत क़त्लयाम किया।
चाहत के पिटारे को भरने,
खून-ख़राबा सरयाम किया।।
सच्चाई से दूर-दराज़,
ग़लतफ़हमी में गुनाह किया।
रहम के क़ाबिल नहीं,
पर दिल ने,
उसको मुआफ़ किया।।
कायनात का आइन, चुप नहीं रह पायेगा।
इन्साफ की तराज़ू में,
यक़ीनन,
सज़ा गुनाहगार पायेगा।।
वो राख़-ख़ाक होगा मगर,
तूं क्यों (?) साथ उसके,
जल मर जायेगा।
दोज़ख तय है उसका,
तूं विहिस्त क्यूँ (?) नहीं जायेगा।।
जला कर राख़ कर दो गुस्से को,
वख़्त, उसका कहर बन जायेगा।
बेवज़ह तूं अपना,
तन-बदन काहें को जलाएगा।।
अध्यात्मिक क्रोध सात्विक है होता।
परिणाम घनात्मक हीं है होता।।
दुनियावी मयपन के कारण,
क्रोध धातक, ऋणबोधितापुर्ण होता।।
गुरु कहते, तुझे विष शत्रु अगर थमाये।
तुम उसको दो अमृत वह तर जाये।।
तुम हो भक्त, तुम बचा जाओग।
समझो, प्रहार से डर मत तुम जाओगे।।
यह एक ऐतिहासिक सत्य है।
अंत में स्वतः मरता कोध्री शत्रु है।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
DrKavi Kumar Nirmal
अध्यात्मिक क्रोध (गुस्सा) सात्विक होता है और परिणाम घनात्मक हीं होता है परन्तु जागतिक् या फिर मयपन के कारण आया क्रोध धातक, ऋणबोधितापुर्ण और अधोगति का कारण बनता है। साधु कहते हैं, "तुझे विष दे शत्रु तो तुम उसे अमरत (अमृत) पिलाओ, वह पवित्र हो जाएगा। तुम चुंकि भक्त हो अतः परम पुरुष तुमको बचा लेगा, यह तुम समझ कर प्रहार से डरो मत। यह एक ऐतिहासिक सत्य है।
"इतिहास में देखा गया है कि जब भी मनुष्य ने धार्मिक, सामाजिक, अर्थनैतिक या अन्य किसी क्षेत्र में स्पष्ट बातें कही हैं, सन्देहों को दूर किया है अथवा अन्याय का प्रतिकार किया है तभी उसके विरुद्ध पापशक्ति ने षड्यन्त्र किया है, विष प्रयोग किया है, अपप्रचार किया है, क्रोध से पागल हो उठी है, निष्ठुरता से उसके ऊपर आघातों की वर्षा की है परन्तु उसी आघात से प्रतिहत होकर वह (आघात) उसी के पास लौट आया है। अपने आघात के प्रत्याघात से ही पापशक्ति विनष्ट हो गई है।
तुम सब यह याद रखना कि इतिहास के अमोघ विधान के अनुरूप पापशक्ति विध्वस्त होगी ही।"
बाबा
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