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टूटी फूटी डेमोक्रेसी : जम्हूरियत पर शायरी Jamhuriyat Par Shayari

Jamhuriyat Par Shayari | Shayari on Democracy in Hindi Font

टूटी फूटी डेमोक्रेसी : जम्हूरियत पर शायरी Jamhuriyat Par Shayari
जहाँ सिर्फ़ नामों के बूते पर 
लोगों को घेरा जाता हो
धर्म के आधार पर 
सबको बाँटा जाता हो
जगह जगह पर नफ़रत की
सभाओं को सजाया जाता हो
जहाँ मिट्टी को भी किसी 
मासूम के ख़ून से रंगा जाता हो
संप्रदायिकता की आग में 
हिंसा भड़काई जाती हो
जहाँ अदालतों के फ़ैसले भी 
एक तरफ़ा मालूम होते हों
क़ानून के रखवाले भी दंगाईयों 
के साथ खड़े नज़र आते हों
जहाँ मज़लूमों को भी 
जेलों में बंद किया जाता हो
जहाँ टोपी हिजाब कपड़ों को 
अलग निगाह से परखा जाता हो
समानता की दुहाई देकर 
एक समुदाय को निशाना बनाया जाता हो 
गाँधी आज़ाद अंबेडकर के उसूलों को 
ताक पर रख कर देश चलाया जाता हो
जहाँ राज नेता लोकतंत्र से
खिलवाड़ करते हों
जहाँ जनतंत्र का 
भगवाकरण किया जाता हो
ऐसी जम्हूरीयत को 
ऐसे सेक्युलरीज्म़ को
मैं नहीं मानता 
मैं नहीं जानता....!!!!!

सिद्दीक़ी मुहम्मद उवैस

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