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ज़ख्म शायरी : ज़ख़्म दिल पर जो खा नहीं सकते Zakhm Shayari Hindi

Zakhm Shayari In Hindi | Zakhmi Dil Sher O Shayari

ग़ज़ल
ज़ख़्म दिल पर जो खा नहीं सकते।
दोस्ती वो निभा नहीं सकते।

जिनमें जज़्बा नहीं है जलने का।
वो अँधेरा मिटा नहीं सकते।

ज़ख़्म कितने मिले हैं उल्फ़त में।
हम किसी को बता नहीं सकते।

वो हमें लाख आज़माएँ पर।
हम उन्हें आज़मा नहीं सकते।

शिद्दत ए दर्द जान लो ख़ुद ही।
हम कलेजा दिखा नहीं सकते।

लाख कोशिश करें भले हम सब।
क़र्ज़ माँ का चुका नहीं सकते।

वो जो रखते हैं संग सी फ़ितरत।
उनको दर्पन दिखा नहीं सकते।

इश्क़ में ऐ फ़राज़ अब अपना।
ह़ाल जो है छुपा नहीं सकते।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद

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