Haqeeqat Shayari In Hindi
जिन्दगी की हकीकत शायरी
क़ल्बे बातिल को यूँ भी खलता हूँ।
जो हकीक़त है वो ही लिखता हूँ।
रूँठ जाते हैं वो ही खुद मुझसे।
मैं कहाँ अपना रूख़ बदलता हूँ।
मुस्कुराता हूँ और भी खुद पर।
दिल के अरमान जब कुचलता हूँ।
Love shayari
लोग देते हैं जो दग़ा मुझको।
उनकी फ़ितरत पे ख़ूब हँसता हूँ।
कब ये इल्ज़ाम है हक़ीक़त है।
मैं जो कहता हूँ वो ही करता हूँ।
और क्या काम है सनम मुझको।
आप का रास्ता ही तकता हूँ।
हाल यह है 'फ़राज़' अब मेरा।
प्यार के नाम से भी डरता हूँँ।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद
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