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नयन में ये कजरे लगाने बहुत हैं|Romantic Shayari in hindi|रोमांटिक शायरी

बेहतरीन रोमांटिक शायरी ग़ज़ल

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अच्छी रोमांटिक शायरी

नयन में ये कजरे लगाने बहुत हैं!
कि बालों में गजरे सजाने बहुत हैं!!

हसीनो को जलवे दिखाने बहुत हैं!
जहाँ में सभी को रिझाने बहुत हैं!!

मेरे जख्म-ए-दिल ये पुराने बहुत हैं!
इसी वास्ते ये दिखाने बहुत हैं!!

सुनाने को,यारो!, तराने बहुत हैं!
कहानी बहुत है, फसाने बहुत हैं!!

सभी को तराने सुनाते रहेंगे!!
हमारे लबों पर तराने बहुत हैं!!

हैं हम भी सुखनवर, हैं हम भी मुगन्नी!
हमारे कन्ठो में तराने बहुत हैं!!

ये मनसूबे और योजनायें काफी!
सभी को सुनाओ,फसाने बहुत हैं!!

अभी इन्डिया की गवर्नमेंट के पास, 
फकत योजनाये,मनसूबे बहुत हैं!!

पकौड़े तलो, और पकौड़े ही बेचो!
मोदी-राज में चाय-खाने बहुत हैं!

Best Romantic Shayari

फंसाओ, कि मुर्गे फसाने बहुत हैं!
मोदी-खाने में मुर्गे-खाने बहुत हैं!!

वतन के एवज तुम करो मन की बातें
सुनाओ सभी को, फसाने बहुत हैं!!

मोदी के बरादर, गृह-मन्त्री जी!!
ये जुमले बहुत हैं, बहाने बहुत हैं!!

भोली-भाली जन्ता को बुद्धू बनाओ!
ये हीले बहुत हैं, बहाने बहुत हैं!!

पकौड़े तलो और पकौड़े ही खाओ!
जवानो की खातिर पकौड़े बहुत हैं!!

सभी अहल-ए-उल्फत को अपने जिगर पर,
अभी तीर-व-नश्तर भी खाने बहुत हैं!!

बहुत बढ गई है ये मंहगाई, यारो!!
हमें भी तो पैसे कमाने बहुत हैं!!

नहीं मानते हैं, खुदा के ये बन्दे!!
खुदा को करिश्मे दिखाने बहुत हैं!

रफीको!,तुम आओ,जर-व-माल लेलो,
हमारे घरों में खजाने बहुत हैं!!

सभी अहल-ए-उल्फत को अपने दिलो पर,
नजर के अभी तीर खाने बहुत हैं!!

ये लन्गोटिये यार हैं बे-तकल्लुफ!!
यही दोस्त मेरे पुराने बहुत हैं!!

नहीं है कमी आशिकों की, रफीको!!
यहाँ हर कदम पर दिवाने बहुत हैं!!

अभी छेड़ दे हम भी नगमे दिलों के !
सुनाने को दिल के तराने बहुत हैं!!

जमाल-व-अदा वालो,हुस्न वालो!!
लुभाने को तुम्हारे जलवे बहुत हैं!

मुहब्बत करो तुम, रफाकत करो तुम!
मुहब्बत के मौसम सुहाने बहुत हैं!!

मुहब्बत में ऐ मेरी जान्, अहद-व-पैमान्, 
निभाने की खातिर दिवाने बहुत हैं!!

यहाँ इश्क में जीस्त बरबाद कर के, 
हमें अहद-व-पैमान् निभाने बहुत हैं!!

खिजाओ की बातें न हरगिज़ करो तुम!
बहारो के मौसम सुहाने बहुत हैं!

तराने सुनाते रहा कीजियो तुम !
सुनाने को, यारो ,तराने बहुत हैं!

मुहम्मद रफी जैसे गायक नहीं हैं !
मगर मौसिकी के दिवाने बहुत हैं!

रफीको!,हमें अपने कल्ब-व-जिगर पर,
निगाहों के नश्तर भी खाने बहुत हैं!

मैं भी हूँ सुखनवर, मैं भी हूँ मुगन्नी !
मेरे पास यारो !,तराने बहुत हैं!!

जगन्नाथ आजाद, गुलजार, आनंद, 
कि उर्दू जुबां के दिवाने बहुत हैं!

शिरी राम,इन्सान, जावेद, अशरफ़, 
गजल के फिदाई, दिवाने बहुत हैं!

नोट : इस गजल के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे !

शायर : डॉक्टर इनसान प्रेमनगरी,द्वारा डॉक्टर रामचन्द्र दास प्रेमी राज चंडी गढी,
 डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल, डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम, रांची हिल साईड, इमामबाड़ा रोड, रांची-834001

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