Suhagrat Shayari- Mohabbat Wali Shayari
गजल
सुहागरात शयरी
न झूठ बोल!,"मुहम्मद" के पास जाना है!
खुदा-ए-पाक को भी अपना मुँह दिखाना है!
Romantic Love Shayari
किसी के चाँद से चेहरे पे दिल दीवाना है!
हमारे "चन्द्र" से तो जल रहा जमाना है!
चले भी आओ!,कि मौसम बड़ा सुहाना है!
तुम्हारे हुस्न से अब गुलसिताँ सजाना है!
चली भी आ!,कि ये मौसम बड़ा सुहाना है!
सखी!,ये मौसम-ए-उल्फत तेरा दिवाना है!
चला भी आ!,कि ये मौसम बड़ा सुहाना है!
सनम!,ये प्यार का मौसम तेरा दिवाना है!
पनाह-ए-गैर में जाना है जिसको जाय!,मुझे
तुम्हारी बाँहों में जीना है, मर भी जाना है!
मिलन की रात है!,कर लो मिलन,ऐ शोला-बदन!
करीब आओ!, कि घूंघट मुझे उठाना है!!
सुहाग-रात है!,घूंघट उठा रहे हैं हम!
शब-ए-विसाल में अब खूब गुद्गुदाना है!
जहाँ के लोगों ने ये रस्म क्या बनाई है!
मिलन की रात है बस दिल से दिल मिलाना है!
उन्हे भी शैख-ए-हरम से, कि शैख-ए-दुनिया से,
शब-ए-विसाल ही में दिल को हार जाना है!
ऐ जान-ए-बाग-व-बहारा!,मिलन की रातों में,
सभी को रूठना है और मान जाना है!!
तु अपने इस हसीन् रुख से जरा नकाब हटा
ये माह-तब भी आगे तेरे, पुराना है!
यही जमाना हमें वरगलाता रहता है!
हमारे प्यार का दुश्मन यही जमाना है!
खराब काम करो मत,कि नेक काम करो!
रसूल-ए-पाक "मुहम्मद " के पास जाना है!
गुनाहो से करो तौबा!,कयामत आ रही है!
खुदा के पास इक रोज मर के जाना है!
हमेशा लब पे सदाकत रहे!,ये याद रहे!
न झूठ बोल!,खुदा के करीब जाना है!
तुम अपने इस हसीन् रुख से जरा हटाओ नकाब!
तुम्हारे चाँद से चेहरे पे दिल दिवाना है!
तुम्हारी बाँहे हैं मुश्फिक, तुम्हारी आँखे हैं खूब!
तुम्हारी जुल्फो का दिलकश ये शामयाना है!
गमों की धूप करीब आयेगी भला कैसे?
तुम्हारे बालों का मुश्फिक ये शामयाना है!
मैंने खरीदा है "राजेश खन्ना" से, यारो!
मेरे लिए है ये, दिलकश ये आशयाना है!
जिगर का हाल बुरा है, खराब-व-खस्ता है!
रफीको!,सुन लो,जरा, हाल-ए-दिल सुनाना है!
कलाम-ए-ताजा लिखा है, गजल कही है मैंने!
तुम्हारी बज्म में जा कर इसे सुनाना है!!
नोट : इस गजल के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे
शायर : डॉक्टर इनसान प्रेमनगरी,
द्वारा डॉक्टर रामचन्द्र दास प्रेमी राज चंडी गढी,
डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल,डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम,रांची हिल साईड, इमामबाड़ा रोड, रांची-834001
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