सुपरहिट बेवफा शायरी हिंदी में Superhit Bewafa Shayari In Hindi
बेवफाई शायरी हिंदी में लिखी हुई : बेवफाई जिसके नस नस में आंसुओ की कदर क्या करेगा?
मुक्तक- आंसुओ की कदर
बेवफाई जिसके नस नस में वो आंसुओ की कदर क्या करेगा।
तोड़कर दिल चकनाचूर किया वो तोहफा खुशी नजर क्या करेगा।
उसे पाना और भूल जाना भी मुश्किल दर्द ए दिल दिया उसी ने है।
दिल ओ जान बर्बाद किया जिसने और ज्यादा हसर क्या करेगा।
श्याम कुंवर भारती
Bewafa Shayari In Hindi For Girlfriend
किसी एक के लिए दुनिया छोड़ना ग़लत है मगर
किसी को छोड़ कर जाना भी कहां की इंसाफी है
एक तेरे आने भर से और एक तेरे जानें भर से
मैने खुद को समझ लिया बस इतना ही काफ़ी है
!!राघवेंद्र!!
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बेवफा शायरी : नींद में खलल डाल गया
“कमाल की बातों, कमाल की जज्बातों में,
वो कर के कुछ यूं कमाल गया,
हज़ारों ख्वाब पलकों पर लेकर आया जो,
वही एक दिन नींद में खलल डाल गया।
!!राघवेंद्र!!
बेवफा मुहब्बत शायरी-Bewafa Shayari Hindi
बेवफा शायरी
Ghazal
शिद्दत न है शऊर-ए-मुहब्बत जनाब में,
हर्फ़-ए-वफ़ा का नाम न उनकी की किताब में।
जैसे कि आज कल है मिलावट शराब में,
वैसे फ़रेब धोखा बनावट शबाब में।
कब तक सजा के गमले में रक्खे कोई उसे,
क्या कीजियेगा ख़ुशबू नहीं गर गुलाब में।
बेवज़ह दिल को मिल गई इतनी बड़ी सज़ा,
गुस्ताखियाँ तो कर गईं आँखें नक़ाब में।
कहता है शाइरी के नशे में मेरा क़लम,
ऐसा सुरूर है न किसी भी शराब में।
झुक जाती थीं जो ख़ुद ही बुजुर्गों के सामने,
अब शर्म ही कहाँ है उन आँखों के आब में।
गुलमर्ग में खिले हैं कहाँ आज कल वो गुल,
अब दास्तान-ए-इश्क़ कहाँ है चिनाब में।
कैसे उठाता लुत्फ़ भला ज़िन्दगी का वो,
जीवन ही जब लिखा न ख़ुदा ने हुबाब में।
कैसी थी ज़िन्दगी ये करेगी क़ज़ा सवाल,
देना जवाब आपको लब्बो लुआब में।
राजेश कुमारी राज
बेवफा शायरी इन हिंदी Bewafa Shayari In Hindi
टीस पे टीस तुम फिर
हमें दिये जा रहे हो
क्या फिर किसी ओर
के लिये हमें भुला रहे हो।।
वफ़ा निभाते हम तो हर पल
फिर किस बात की सजा
हमें दिये जा रहे हो।।
आंसूओं की मझधार फिर
बही मेरी अखियों से आज
क्यों हमें यूं सता बस तुम
रुला रहे हो।।2।।
वीना आडवानी" तन्वी"
नागपुर, महाराष्ट्र
बता तूने हमें वफा क्यों न दी? बेवफा लव शायरी Bewafa Love Shayari
वीणा के सुर खामोश हो रहे
मेरी तमन्नाओं के कातिल बता तूने हमें वफा क्यों न दी।।
कभी मांगा न कुछ तुझसे, फिर भी सज़ा मैंने तुझे क्यों न दी।।
अपनी सांसों के हर बंधन में तुझे समाए थे हम
हर बंधन तोड़े तूने, फिर भी तुझे अब तक भुला क्यों न दी।।
शायद मेरी इस रूह ने, तुझे अपनी रूह में बसाया था
मेरी वफ़ा के काबिल तू न था, ये खुद को मैं समझा क्यों न दी।।
याद आते अब भी तेरे संग गुज़ारे वो हर एक हसीन पल
आज भी उम्मीद लगाए बैठी, हर उम्मीद एक तोड़ क्यों न दी।।
तेरे सिवा कोई भी मेरे दिल को भाता नहीं सुन मेरे हमनवां
तेरी राह तकती आज भी, तूने लौट दिल पर दस्तक क्यों न दी।।
सोचती हूं कभी तो याद मेरी भी, तुझे सच सताती होगी
वीणा के सुर के मोती खामोश न हो जाएं, तुमने आवाज़ क्यों न दी।।
मेरी तमन्नाओं के कातिल बता तूने हमें वफा क्यों न दी।।२।।
वीना आडवाणी तन्वी
दर्द ए शायरा
नागपुर, महाराष्ट्र
बेवफा गजल शायरी
वफा की बात करते रहे वो बेवफा दिखा गए
चाँद तारो भरी बातें की मुझे आइना दिखा रहे।।
लब्ज़ थे उनके भोले भाले वो तीर चलाते रहे
खुद छुपे आइने के पीछे मुझे आइना दिखा रहे।।
हर शाम बिखर जाता मयखानों ने संभाला मुझे
महफिल सजाए वो बैठे मुझे आइना दिखा रहे।।
डर लगाता हैं तेरे ख्वाबों से कहीं नींद न टूट जाए
ख्वाबों में बसाया औरो को मुझे आइना दिखा रहे।।
सुरत वही नजरे भी वही पर बदल गये नियत तेरे
नादान बन कर वो रहते पर मुझे आइना दिखा रहे।।
सुधीर सिंह आसनसोल
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