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सबसे दर्द भरी शायरी प्यार में दर्द भरी शायरी हिंदी Dard Bhari Shayari

दर्द का संसार शायरी

Dard Bhari Shayari Painful Dard Shayari

Dard Bhari Shayari Painful Dard Shayari

Dard Bhari Shayari

ज़िन्दगी में प्यार देखना

Ghazal

जो चाहते हो दर्द का संसार देखना।
इक तरफा कर के ज़िन्दगी में प्यार देखना।

हद से जियादा जिस पे तुम्हें एतबार है
ख़ंजर करेगा दिल के वही पार देखना।

बेकाम हो के घर में अगर बैठ जाएँगे
देगा न साथ अपना ही परिवार देखना।

पहले किसी पे उँगली उठाने से ज़ीस्त में
अपना भी गौर से ज़रा किरदार देखना।

हीरा अगर चलोगे बुराई की राह पर
होगी ग़मों की ज़ीस्त में भरमार देखना।

हीरालाल

Gam Bhari Shayari

दिल, दुआ और आँखों पर शायरी

Love Shayari Ghazal

अधरों पे है कुछ दिल में छुपा और ही कुछ है।
आँखो ने तेरी मुझसे कहा और ही कुछ है।

माँगे है जिसे दिल वो दुआ और ही कुछ है।
चाहत है कोई और, मिला और ही कुछ है।

होता नहीं कुछ भी जो तेरे मन का जहां में
तो मान ले मालिक की रजा और ही कुछ है।

समझो न मुझे मय के पियालों कि पुजारी
डूबा हूँ मैं जिसमें वो नशा और ही कुछ है।

जल चाँद सितारों की तमन्ना में न हीरा
हाथों की लकीरों में लिखा और ही कुछ है।

हीरालाल यादव हीरा

Gam Shayari

तक़दीर का तारा शायरी

Bewafa Pyar Shayari

Gardish Ghazal

गर्दिशों में न जो तक़दीर का तारा होता।
कोई बाज़ी मैं ज़माने में न हारा होता।

बेवफ़ा कोई अगर तुमको भी प्यारा होता।
जो मेरा हाल है वो हाल तुम्हारा होता।

डूब जाती मेरी मझधार में कश्ती कब की
मेरे भगवान तेरा जो न सहारा होता।

तोड़कर आते ज़माने के सभी हम बंधन
प्यार से आपने हमको जो पुकारा होता।

ज़िन्दगी साथ गुज़रनी जो नहीं थी मुमकिन
एक लम्हा ही मेरे साथ गुज़ारा होता।

मिल के जीने की कला सीख जो लेती दुनिया
अम्न का चारों तरफ जग में नज़ारा होता।

मूँद कर आँखें जो हीरा न चले हम होते
हाल बेहाल कभी यूँ न हमारा होता।

हीरालाल यादव हीरा

मुकद्दर पर शायरी

Ghazal

सिवा कुछ भटकने के चारा नहीं है।
मुकद्दर में लिक्खा किनारा नहीं है।

जिसे ढूँढता है तू पागल मेरे दिल
ज़माने में वो भाईचारा नहीं है।

तुम्हीं ग़मजदा हो अकेले न सोचो
ग़मों का यहाँ कौन मारा नहीं है।

पिला दो गरल है ये मंजूर लेकिन
अना मार जीना गवारा नहीं है।

तुम्हें छोड़ कर और चाहे किसी को
कि गुस्ताख़ यूँ दिल हमारा नहीं है।

लुटेरे हैं फैले हुए याँ पे हीरा
शरीफ़ों का जग में गुज़ारा नहीं है।

हीरालाल

तुम मेरी मुहब्बत हो Ghazal

नेक दिल और नेक सीरत हो।
इसलिए तुम मेरी मुहब्बत हो।

मुस्कुराओ तो ज़िन्दगी हो तुम
रूठ जाओ तो बस क़यामत हो।

तुमसे हर ग़म, हरिक ख़ुशी तुमसे
ज़िन्दगी की तुम्हीं ज़रूरत हो।

दिन कभी वो न आये जीवन में
तुम मेरी ज़िन्दगी से रुख़सत हो।

पूजता जिसको हर घड़ी हूँ मैं
मन के मंदिर की तुम वो मूरत हो।

फैसला दिल ये कर नहीं पाया
ख़्वाब हो या कि तुम हक़ीक़त हो।

दुख है इसका कि तुम नहीं मेरे
ख़ुश हूँ इससे कि तुम सलामत हो।

हीरालाल

जुदाई शायरी करवट शायरी मंजिल की डगर शायरी Judai Shayari

अगन में जुदाई की जलते हुए।
कटी रात करवट बदलते हुए।

पता मंज़िलों का उन्ही को मिला
चले जो भी गिरते सँभलते हुए।

मिला ठोकरों के सिवा और क्या
सदाकत की राहों पे चलते हुए।

जो आया है उसका है जाना अटल
ये कह कर गया सूर्य ढलते हुए।

कठिन इतनी होगी जहां की डगर
न सोचा था घर से निकलते हुए।

तक़ाज़ा समय का जो समझे नहीं
रहे हाथ हीरा वो मलते हुए।

हीरालाल

बदगुमानी, नाम-ए-ख़ुदा, आदमी पर शायरी
Love Shayari

बदगुमानी में डूबा हुआ आदमी।
भूल बैठा है नाम-ए-ख़ुदा आदमी।

लाख तूफ़ाँ डराने की कोशिश करे
हारता है कहाँ हौसला आदमी।

ख़ुद के बारे में बेहतर है ख़ुद जानता
कितना है वो भला या बुरा आदमी।

ख़्वाहिशों के लगा ढेर संसार में
आप ही अपना दुश्मना बना आदमी।

चाहता है कहाँ होना मर्ज़ी से ख़ुद
क़ैद से ज़िन्दगी की रिहा आदमी।

चाहे मुफ़लिस हो या कोई ज़रदार हो
ज़िन्दगी से मिला हर खफ़ा आदमी।

टूट जाता है हीरा जहां में तभी
मौत की माँगता है दुआ आदमी।

हीरालाल

प्यार के फूल शायरी-ज़िन्दगी की शिकायत
Pyar Shayari

प्यार के फूल दिल में खिलाते रहो।
ज़िन्दगी खूबसूरत बनाते रहो।

भूल कर सारी दुश्वारियां राह की
पाँव मंज़िल की जानिब बढ़ाते रहो।

ज़िन्दगी की शिकायत न होनी है कम
नाज़ कितने भी इसके उठाते रहो।

मैल मन का न होगा नहाने से कम
लाख गंगा में डुबकी लगाते रहो।

इन दिखावों में हीरा नहीं कुछ रखा
जो हो, जैसे हो जग को बताते रहो।

हीरालाल

आँखें चुराने पर शायरी आँखों पर बेहतरीन शायरी Ghazal

हमें देख कर वो चुराती हैं आँखें।
सुकूँ देख कर जिनको पाती हैं आँखें।

उमीदें हज़ारों जगाती हैं आँखें।
वो आँखों से जबभी मिलाती हैं आँखें।

लगी हाय किसकी है इनको न जाने
जो छुप छुप के आँसू बहाती हैं आँखें।

जहाँ पर भी देखा हसीं कोई चेहरा
नहीं बाज़ लड़ने से आती हैं आँखें।

नहीं देख पातीं ग़मों का ये मंज़र
छलक आप ही पल में आती हैं आँखें।

मुकम्मल जो होते नहीं ज़िन्दगी में
वही ख़्वाब अकसर दिखाती हैं आँखें।

नहीं काट उनका ज़माने में हीरा
जो इंसाँ पे जादू चलाती हैं आँखें।

हीरालाल

बेस्ट चाहत शायरी Best Chahat Shayari in Hindi
Love Shayari

कुर्बान तुझ पे दिल करूँ या फिर मैं जान दूँ।
चाहत का अपनी ये बता क्या इम्तिहान दूँ।

दिल चाहता है तोड़ के दुनिया की बंदिशें
ख़्वाबों को और अपने खुला आसमान दूँ।

रहने के वास्ते नहीं तैयार जब कोई
मैं अपने दिल का किसको ये खाली मकान दूँ।

लोगों का करना काम है बातें फ़िज़ूल की
तुम भी न इनपे कान दो, मैं भी न कान दूँ।

उलझा इसी सवाल में हीरा है हर कोई
दिल की सुनूँ या जग की मैं बातों पे ध्यान दूँ।

हीरालाल

प्यारे-प्यारे शेर अनजान मेहमान शायरी
Pyar Shayari

न बन यूँ जान कर अनजान प्यारे।
जहां में हैं सभी मेहमान प्यारे।

सभी का अंत इक जैसा है जग में
वो मुफ़लिस हो,कि हो धनवान प्यारे।

डगर काँटों भरी है ज़िन्दगी की
सफ़र इसका नहीं आसान प्यारे।

किसी लालच,किसी दहशत में आ कर
डिगा मत राह से ईमान प्यारे।

कहाँ तक तुम बँटाओगे बताओ
मैं रखता हूँ दुखों की खान प्यारे।

मुहब्बत का न दिल में रोग़ पालो
ये ले लेगा किसी दिन जान प्यारे।

तिरंगे का सदा सम्मान करना
इसी से है हमारी शान प्यारे।

करें बातें इशारों में है बेहतर
दिवारें भी रखें हैं कान प्यारे।

बशर भाता है वो दुनिया में सबको
मधुर रखता है जो मुस्कान प्यारे।

नहीं कुछ भी तेरे बूते से बाहर
तू अपने आपको पहचान प्यारे।

न था ऐसा कभी जैसा मैं अब हूँ
मैं ख़ुद को देख हूँ हैरान प्यारे।

तेरी हर कोशिशें नाकाम होंगी
ख़फ़ा होगा अगर भगवान प्यारे।

बदी की राह पे चल कर जहां में
बना मत ज़िन्दगी शमशान प्यारे।

मुसीबत बोलकर आती नहीं है
न बेफ़िक्री की चादर तान प्यारे।

जिसे शिकवा न हीरा ज़ीस्त से हो
कोई ऐसा नहीं इंसान प्यारे।

हीरालाल

मुसीबत शायरी, ग़म की हिरासत, चाँद सा चेहरा

Ghazal

पकड़ी बदी की राह मुसीबत में आ गये।
ख़ुशियों को छोड़ ग़म की हिरासत में आ गये।

देखा जो उनका चाँद सा चेहरा तो यूँ लगा
दुनिया-जहान छोड़ के जन्नत में आ गये।

आँखों पे अब भी अपनी यकीं हो नहीं रहा
ये ख़्वाब है या आप हक़ीक़त में आ गये।

बीमारे दिल की उनसे दवा की है आरज़ू
जज़्बात जिनको देख के हरकत में आ गये।

देखा मुसीबतों से हमें जो घिरा हुआ
दुश्मन हमारे और भी रंगत में आ गये।

हीरा जो जान देने की देते थे धमकियाँ
वो देख मौत सामने दहशत में आ गये।

हीरालाल

ख़याल, ख़बर, ज़िन्दगी, हुनर, सियाह रात, दुख-दर्द ज़िन्दगी के सताते

Ghazal

अपना हो बस ख़याल,जहां की ख़बर नहीं।
हर्गिज़ ही ऐसी ज़िन्दगी करनी बसर नहीं।

दिल जीतने का जिसको भी आता हुनर नहीं ।
आसान उसके वास्ते कोई डगर नहीं।

सुख का हसीन दिन हो या ग़म की सियाह रात
रहता है कुछ भी साथ यहाँ उम्र भर नहीं।

जीना ही डर से छोड़ दे इंसान दोस्तो
इतनी भी राहे-ज़ीस्त कहीं पुर-ख़तर नहीं।

दुख-दर्द ज़िन्दगी के सताते मुझे भी हैं
इंसाँ हूँ यार मैं भी, कोई जानवर नहीं।

हीरा ग़मों से जिसका पड़ा वास्ता न हो
ऐसा कोई जहान में देखा बशर नहीं।

हीरालाल

पैसा पर शायरी, सब्र का फल, तारे गिनता, दर्द शायरी

Ghazal

पास मेरे भी पैसा होता।
मैं भी सबको प्यारा होता।

इश्क़ किसी से हो जाता गर
तू भी तारे गिनता होता।

काश सभी की ख़ातिर जग में
सब्र का फल ये मीठा होता।

झगड़े भाई सुलझा लेते
क्यों घर का बँटवारा होता।

किस्मत साथ अगर दे देती
तू मेरी मैं तेरा होता।

ठेस लगाता ग़ैर कोई तो
दर्द न इतना ग़हरा होता।

हीरा सुख दुख से रंगत है 
जीवन वर्ना फीका होता।

हीरालाल

दामन मेंं खुशी, ज़िन्दगी शायरी, प्यार में दिल टूट जाने की शायरी

Ghazal

जिसके दामन में हर ख़ुशी होगी।
ज़िन्दगी उसकी ज़िन्दगी होगी।

कुछ भी हासिल न ज़ीस्त में होगा
कोशिशों में अगर कमी होगी।

पेड़ पौधों को जितना सींचोगे
उतनी धरती हरी भरी होगी।

फासले बढ़ गये हैं जो इतने
कुछ ख़ता दोनों की रही होगी।

प्यार में दिल जहाँ भी टूटेंगे
आँसुओं की वहीं नदी होगी।

नर्म अहसास कैसे जागेंगे
दिल में इतनी जो बेरुख़ी होगी।

देख धड़का किसी को दिल फिर से
फिर मुसीबत कोई खड़ी होगी।

आस दुनिया की छोड़ दे हीरा
ये न हर्गिज़ कभी सगी होगी।

हीरालाल

मुहब्बत के बेसबब सितम शायरी

बेसबब ही सताया लोगों ने।
वक़्त अपना गँवाया लोगों ने।

मेरा दामन न कर सके मैला
दाग भरसक लगाया लोगों ने।

कद्र सच की नहीं रही अब तो
झूँठ सर पे बिठाया लोगों ने।

कीजै परवाह यूँ न लोगों की
साथ किसका निभाया लोगों ने।

जिसने सच बोलने की हिम्मत की
उसको सूली चढ़ाया लोगों ने।

अपनी राहों को खुद चुनो हीरा
किसको रस्ता दिखाया लोगों ने।

हीरालाल

नफ़रतें भुलाने की शायरी

नफ़रतें दिल से भुला कर देखिए।
प्रेम की गंगा बहा कर देखिए।

प्यार के सपने सजा कर देखिए।
ज़िन्दगी जन्नत बना कर देखिए।

चाहतें हैं चैन की साँसें अगर
ख़्वाहिशें अपनी घटा कर देखिए।

आप ही की दिल में बस तस्वीर है
आइए दिल में समा कर देखिए।

तीरगी पल भर में ये मिट जाएगी
जुल्फ़ें चेहरे से हटा कर देखिए।

मंज़िलें ख़ुद रास्ता दिखलाएँगी
हौसला हीरा जगा कर देखिए।

हीरालाल

इश्क़ में ग़म, अश्क आँखों में, दर्द सीने में शायरी

इश्क़ मैने भी किया था पहले।
मैं भी हर ग़म से रिहा था पहले।

अश्क़ आये न यूँ हीं आँखों में
दर्द सीने में उठा था पहले।

हाल बेहाल हुआ उसका जो
राहे ईमाँ पे चला था पहले।

ठेस उसने ही लगाई दिल को
दिल का हिस्सा जो रहा था पहले।

मुझको लालच ने बिगाड़ा हीरा
आदमी मैं भी भला था पहले।

हीरालाल

सियासत पर बेहतरीन शेर हिंदी में

उसे ही ज़ीस्त में करना कमाल आता है।
जो कर के नेकियाँ दरिया में डाल आता है।

हया से होते हैं पहले ही लाल आरिज़ ये
फिर उसके बाद तुम्हारा ख़याल आता है।

न कोई काम न धंधा करे हैं नेता फिर
कहाँ से घर में जहां भर का माल आता है।

ख़ुशी का उसकी ठिकाना कोई नहीं रहता
लड़ाई जीत के जिस माँ का लाल आता है।

ख़ुद अपनी जान की चिंता बशर नहीं करता
अना का ज़ीस्त में जब भी सवाल आता है।

हीरालाल

बेइंतहा मुहब्बत शायरी Mohabbat Shayari

ऐसा नहीं कि तुझसे मुहब्बत नहीं रही।
बस ज़िन्दगी में पहले सी फुरसत नहीं रही।

रहता था नाज जिस पे वो सूरत नहीं रही
जा आइने कि तेरी ज़रूरत नहीं रही।

बचपन दबा हुआ है किताबों के बोझ से
बच्चों में पहले सी वो शरारत नहीं रही।

ख़ुद हम चुके हैं घोंट तमन्नाओं का गला
अब ज़िन्दगी से कोई शिकायत नहीं रही।

उलझा है दावपेंच में जिसको भी देखिये
दुनिया में नाम को भी शराफ़त नहीं रही।

भाती चमक दमक ही है दुनिया को आज कल
अब सादगी की कोई भी कीमत नहीं रही।

हीरा हैं दरमियाँ ये दिलों के अभी भी पर
रिश्तों में आजकल वो हरारत नहीं रही।

हीरालाल

प्यार मुहब्बत और वफ़ा शायरी

दौर दहशत का ये चला क्या है।
जाने दुनिया को ये हुआ क्या है।

प्यार क्या चीज है, वफ़ा क्या है।
छोड़ो इन बातों में रखा क्या है।

राज़ ये जानता ख़ुदा है बस
किसकी तकदीर में लिखा क्या है।

जग में कमियाँ निकालने वाले
जग से आख़िर तू चाहता क्या है।

प्यार भरता है ज़ीस्त में लज़्ज़त
प्यार बिन ज़ीस्त में मज़ा क्या है।

तुम भी चुप और मैं भी हूँ चुप फिर
शोर सा दिल में ये उठा क्या है।

तन्हा आये हैं तन्हा है जाना
राह दुनिया की देखता क्या है।

इश्क़ होना तो आम है हीरा
साथ तेरे हुआ नया क्या है।

हीरालाल

प्यार की ज़िंदगी शायरी

प्यार की जिसमें रोशनी ही नहीं।
ज़िन्दगी फिर वो ज़िन्दगी ही नहीं।

क़द्र रिश्तों की जो नहीं करता
आदमी फिर वो आदमी ही नहीं।

कैसे मिलती भी मुझको मंज़िल वो 
जो मेरे वास्ते बनी ही नहीं।

राह ख़ुशियों की किसलिए देखूँ
मेरी हमदम कभी वो थी ही नहीं।

सुब्ह ख़ुशियों की कैसे आती जब
रात ग़म की कभी ढली ही नहीं।

सुख का सागर भी ज़ीस्त हीरा है
आँसुओं की ये बस नदी ही नहीं।

हीरालाल

मुस्कुराना शायरी रस्म ए उल्फत पर शेर

बदगुमानी मिटा गया कोई।
आईना यूँ दिखा गया कोई।

क्या हूँ मैं ये बता गया कोई
मुझको मुझसे मिला गया कोई।

ज़िन्दगी बन के आ गया कोई।
मुस्कुराना सीखा गया कोई।

रस्म ए उल्फत निभा गया कोई।
ठेस दिल पर लगा गया कोई।

ख्वाब झूठा दिखा गया कोई।
दर्द दिल का बढ़ा गया कोई।

ज़ीस्त क्या है बता गया कोई।
मुझको जीना सीखा गया कोई।

चोरी चोरी से चुपके चुपके से
दिल जिगर में समा गया कोई।

है अँधेरों मे ज़िन्दगी,जब से
दीप दिल का बुझा गया कोई।

जब निभाना नहीं था हीरा तो
राबता क्यों बना गया कोई।

हीरालाल

वफ़ा की आरज़ू, गुफ़्तगू, आबरू,जुस्तजू

वफ़ा की काश न दुनिया में आरज़ू करते।
न बैठ चाके जिगर आज यूँ रफ़ू करते।

किया है तुमने मेरे साथ हो के अपना जो
वो काम साथ किसी के हैं बस अदू करते।

गुमान दिल का तुम्हारे सभी मिटा देता
जो आईने से कभी खुल के गुफ़्तगू करते।

लगा के दाग तू छोड़ेगा जो पता होता
ख़राब अपनी कभी हम न आबरू करते।

जहान भर से जुदा बात है कोई वरना
हमारा जिक्र सभी यूँ न कू ब कू करते।

ज़रा भी आस तेरे हाथ आने की होती
ख़ुशी से हम भी ख़ुशी तेरी जुस्तजू करते।

न होती रात मेरी नूर से भरी हीरा
अगर वो चाँद सा चेहरा न रू ब रू करते।

हीरालाल यादव हीरा

मुहब्बत के ख़्वाब, हमसफ़र, उम्र भर

Ghazal

किसी की राहों को तकते नज़र न रह जाये।
दरश की प्यास कहीं उम्र भर न रह जायें।

हमेशा डर ये मेरे क़ल्ब को सताता है
उदासी बन के मेरी हमसफ़र न रह जाये।

सजा रहा हूँ मुहब्बत के ख़्वाब जिसके मैं
वो हाले दिल से मेरे बेख़बर न रह जाये।

बिछाये पलकें मैं बैठा हूँ जिसकी राहों में
मेरी गली से उसी की गुज़र न रह जाये।

मैं चाहता हूँ जहां छोड़ना तभी हीरा
किसी का कर्ज़ मेरे नाम पर न रह जाये।

हीरालाल यादव हीरा

ख़ुदाई, तबाही, शराफ़त, पागल मेरा दिल Khudai Shayari

ख़ुदाई को भुलाना चाहता है।
तबाही क्यों मचाना चाहता है।

नहीं जग का ख़जाना चाहता है।
मुहब्बत बस दिवाना चाहता है।

तेरे दिल में समाना चाहता है।
ये दिल अपना ठिकाना चाहता है।

किसी का दिल दुखाना चाहता है।
शराफ़त क्यूँ गँवाना चाहता है।

बुराई लाख है दुनिया में फिर भी
यहाँ से कौन जाना चाहता है।

मेरे किरदार में कमियाँ बताकर
वो मेरा सर झुकाना चाहता है।

जहां को भूल कर पागल मेरा दिल
तेरे कूचे में आना चाहता है।

सँभालेगा उसे कैसे कोई भी
जो ख़ुद ही लड़खड़ाना घाहता है।

भला देते हो उसको भीख क्यों तुम
कमाकर ख़ुद जो खाना चाहता है।

बनाने में गँवा बैठा जिसे सब
वही मुझको मिटाना चाहता है।

भरा दिल क्या नहीं जख्मों से हीरा
जो दिल फिर से लगाना चाहता है।

हीरालाल

चाँद सा चेहरा दिखाओ Khoobsurat Chehra Shayari

न डूबे तुम रहो अपनी ख़ुशी में।
करो कुछ नेकियाँ भी ज़िन्दगी में।

समझता ख़ुद को है परिपूर्ण लेकिन
भरी लाखों हैं कमियाँ आदमी में।

मिलाकर दिल से दिल रहिए हमेशा 
मज़ा कुछ भी नहीं है बेरुख़ी में।

लुभाते हैं मेरे अशआर मुझको
मैं डूबा हूँ इन्हीं की आशिकी में।

नकारा मान कर ताने न मारो
हुनर होता है कुछ तो हर किसी में।

फिरूँ क्यों ढूँढता दुनिया में उसको 
मेरा रब तो बसा करता सभी में।

मुझे मत बेवफ़ा का डर दिखाओ
मैं रहता हूँ वफ़ा की रोशनी में।

अलग अंदाज हैं हम आशिकों के
वही करते हैं जो आता है जी में।

कभी तो चाँद सा चेहरा दिखाओ
नहा लूँ मैं भी कुछ पल चाँदनी में।

बता ऐ दिल है किसकी चाह तुझको
किसे तू ढूँढता है हर किसी में।

नहीं गिरने का मुझको ख़ौफ़ कोई
मैं रहता हूँ ख़ुदा की रहबरी में।

जिगर फौलाद का रखते हैं हम भी
उड़ा देते हैं हर इक ग़म हँसी में।

बड़ी कुछ बात क्या इससे है हीरा
गुज़र जाये जो जीवन सादगी में।

हीरालाल

आग, पानी, हवा पर ग़ज़ल

आग, पानी, हवा सभी कुछ है।
रब ने हमको दिया सभी कुछ है।

करना अरदास काम है अपना
वैसे उसको पता सभी कुछ है।

छोड़ मत आस का बशर दामन
आस पर ही टिका सभी कुछ है।

दिल, जिगर,जान, ज़िन्दगी हमदम
मेरा तुम पर फिदा सभी कुछ है।

तुमसे जो भी जुड़ा है जीवन में
बस वही राबता सभी कुछ है।

किसने क्या क्या दिया है जीवन में
दिल पे हीरा लिखा सभी कुछ है
हीरालाल

दर्दनाक अहसास शायरी चोंट लगी ! जब तन में,

महसूस
चोंट लगी ! जब तन में,
उसे महसूस करते हैं।
प्यास लगी जब हमें
उसकी तलाश करते हैं।
दूसरों की चोंट को न समझा,
आघात पर आघात करते हैं।
जब होती अपनी गर्ज
दूसरों के तलवे सहलाते,
उनके दर्द को देख,
पीठ थपथपाते निकल जाते।
महसूस किया अपनी दर्द !
हर कोई बंदा।
दूसरों के दर्द को!
महसूस करके तो देख,
तेरे दर्द से कम नहीं निकलेगा।
भूलकरके भी।
तू किसी को दर्द न दे पायेगा,
चोंट लगी जब तन में,
उसे महसूस करते हैं।
 
शिक्षा- बी.एड. , एम.ए (हिंदी)
अंशिका श्रीवास्तव
जौनपुर ,उत्तरप्रदेश
मोबाइल- 983845236

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