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Emotional Poem Beti Hindi-बेटी पर अत्याचार कविता

 Beti Bachao Beti Padhao Par Kavita

Poem on Beti Hindi.jpg

 Blessing Shayari For Daughter

 इस पोस्ट में आप पढ़ेंगे, गुल गुलशन, नालासोपारा, मुंबई की लिखी कविता जिसका विषय बेटी से संबंधित है जैसे, Blessing Shayari For Daughter, Poem On Beti In Hindi, Poem On Beti In Hindi, Emotional Poem On Beti In Hindi, Beti Bachao Beti Padhao Par Kavita, माँ बेटी का रिश्ता कविता, बेटी के जन्मदिन पर प्यारी सी कविता, बेटी पर छोटी कविता, बेटी एक वरदान पोएम इन हिंदी, Beti Ka Dard Hindi Poem -बेटी का दर्द कविता-बेटी पर अत्याचार, बेटी के जन्म पर कविता, बेटी पर कुछ सुंदर लाइनों, बिटिया पर कविता, बेटी की शादी पर कविता, बेटी पर अत्याचार कविता, पिता और बेटी पर कविता, मां बेटी की कविता तो आइए पढ़ना शुरू करते हैं इस ख़ूबसूरत कविता को और जानते हैं बेटी के दर्द और तकलीफों को।

Poem On Beti In Hindi English Font

Beti Ki Shaadi Par Kavita-बेटी की शादी पर कविता

Shayari In Roman English

Maasoom Si Kali Thi
Naazo Se Jo Pali Thi
Aankhon Mein Khwaab The Aur
Man Mein Hasratein Thi
Aankhon Mein Khwaab The Aur
Man Mein Hasratein Thi
Titli Ki Maanind Har Soo
Udati Woh Phir Rahi Thi
Sapne Bade The Uske
Sachai Kuchh Aur Hi Thi
Anjaan Ajnabee Jab
Aaya Tha Zindagi Mein
Dil Hi Dil Mein Usko
Apna Samajh Rahi Thi
Maan Baap Dar Rahe The
Bahene Bhi Ro Rahi Thi
Naazo Pali Woh Beti
Parayi Ho Chali Thi
Sasuraal Mein Na Maan Thi
Baap Ki Kami Thi
Apno Ki Yaad Dil Mein
Samoye Tadap Rahi Thi
Har Din Mushkilen Thi
Har Raat Bekali Thi
Izzat Ki Khatir Sab Ki
Woh Zulm Sah Rahi Thi
Naazuk Si Wo Titli
Qismat Se Lad Rahi Thi
Achhi Bhali Wo Gudiya
Gham Se Guzar Rahi Thi

बेटी पर अत्याचार कविता

बेटी Beti

एक मासूम सी कली थी 
नाजों से जो पली थी
आँखों में ख़्वाब थे और 
मन में हसरतें थीं
तितली की मानिन्द हर सु 
उड़ती वो फिर रही थी
सपने बड़े थे उस के 
सच्चाई कुछ और ही थी
अनजान अजनबी जब 
आया था ज़िंदगी में
दिल ही दिल में उस को 
अपना समझ रही थी
माँ बाप डर रहे थे 
बहनें भी रो रही थीं
नाजों पली वो बेटी 
पराई हो चली थी
ससुराल में ना माँ थी 
बाप की कमी थी
अपनों की याद दिल में 
समोए तड़प  रही थी
हर दिन मुश्किलें थीं 
हर रात बेकली थी
इज़त की खातिर सब की 
वोह ज़ुल्म सह रही थी
नाज़ुक सी वोह तितली 
क़िस्मत से लड़ रही थी
अच्छी भली वह गुड़िया 
ग़म से गुज़र रही थी 

 बेटी पर कविता हिंदी में लिखी हुई

गुल गुलशन 
नालासोपारा मुंबई
Gul Gulshan

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