Good Morning Motivation-कोई कर रहा मजे किसी के लिए सजा
In This Post You Can Find Best Good Morning Monday-गुड मॉर्निंग सोमवार शायरी, Good Morning Motivation, Good Morning Flowers, And Good Morning Rose.
फसलों की आहट सुन लो प्यार से
शबनमी सुप्रभात
Good Morning Flowers
कोहरे की भाषा क्या कोई पढ़ पाया है
सर्द हवा का झोंका हौले से घुस आया है
रहती है बेचैनी में सिहरन भी देखो कितना
अगहन मास कुहासे को गले लगाया है!
लता प्रासर
सर्द हवा का झोंका हौले से घुस आया है
रहती है बेचैनी में सिहरन भी देखो कितना
अगहन मास कुहासे को गले लगाया है!
लता प्रासर
कुहासे की ताप मुबारक
अगहनी सुप्रभात
ताप के संताप से ठिठुर रही हैं अस्थियां
बचने और बचाने का निकाल रही वीथियां
शीतकाल बीत रहा सिहरन लिए हुए
ठंडे विचारों की भला कौन तोड़े ग्रंथियां
धुंध धुंध ये छटा मनाकाश पर डटा
बदल रही नित्य प्रति आहिस्ते से तिथियां
कोई कर रहा मजे किसी के लिए सजा
जिंदगी का सफर लिए अनेक मनोग्रंथियां!
लता प्रासर
बचने और बचाने का निकाल रही वीथियां
शीतकाल बीत रहा सिहरन लिए हुए
ठंडे विचारों की भला कौन तोड़े ग्रंथियां
धुंध धुंध ये छटा मनाकाश पर डटा
बदल रही नित्य प्रति आहिस्ते से तिथियां
कोई कर रहा मजे किसी के लिए सजा
जिंदगी का सफर लिए अनेक मनोग्रंथियां!
लता प्रासर
मीठे मीठे और शीतल सपनों खो जाइए
अगहनी शुभरात्रि
Good Morning Rose
खूबसूरत गुड मॉर्निंग शायरी
दिन निकल गया आपके ख़्याल में
शाम को फंसी रही मुहब्बत के जाल में
बेकरारी आपकी मुझे संगीत दे गया
रात कुछ लिख गई ऐसे कमाल में!
लता प्रासर
शाम को फंसी रही मुहब्बत के जाल में
बेकरारी आपकी मुझे संगीत दे गया
रात कुछ लिख गई ऐसे कमाल में!
लता प्रासर
गुनगुनी धूप का स्वागत
अगहनी सुप्रभात
किसान की जान है फल सब्जी अनाज
देश अपना करता है किसानों पर नाज़
राग रंग फाग अंग अन्न से थिरकता हो
जिंदगी की है यही सबसे बेहतरीन साज!
लता प्रासर
अगहनी सुप्रभात
किसान की जान है फल सब्जी अनाज
देश अपना करता है किसानों पर नाज़
राग रंग फाग अंग अन्न से थिरकता हो
जिंदगी की है यही सबसे बेहतरीन साज!
लता प्रासर
अगहन की गुनगुनी ताप का आनन्द लीजिए
नमस्कार
कुछ उम्मीद
कुछ प्रयास
आने वाले कल को
शायद दे दे आस
बस हम तो यूं ही
लगा रहे हैं कयास
अखबार की
पहली झलक में
दिख जातीं हैं
नम आंखें
कसूर किसका है
इसे कौन आंकें
कल आज और कल
चल चल चले चल!
लता प्रासर
कुछ प्रयास
आने वाले कल को
शायद दे दे आस
बस हम तो यूं ही
लगा रहे हैं कयास
अखबार की
पहली झलक में
दिख जातीं हैं
नम आंखें
कसूर किसका है
इसे कौन आंकें
कल आज और कल
चल चल चले चल!
लता प्रासर
अगहनिया धूप का स्वागत
गुनगुना प्रणाम
सफ़र यूं बीत गया शब्द ढूंढते ढूंढते
मौसम मुझसे जीत गया हंसते हंसते
आते हैं जाते हैं कितने किस्से सुनाते हैं
दिन यूं ही बीत गया आहिस्ते आहिस्ते!
लता प्रासर
मौसम मुझसे जीत गया हंसते हंसते
आते हैं जाते हैं कितने किस्से सुनाते हैं
दिन यूं ही बीत गया आहिस्ते आहिस्ते!
लता प्रासर
सरसों के फूलों की पीली चदरिया मुबारक
ठिठुरती सुप्रभात
ठंड सारे जोड़ों को मरोड़ रहा
जिस्म और जवानी का होड़ रहा
दर्द से दर्द का अहसास है होता
उम्र कोई हो ठंड नहीं छोड़ रहा!
लता प्रासर
जिस्म और जवानी का होड़ रहा
दर्द से दर्द का अहसास है होता
उम्र कोई हो ठंड नहीं छोड़ रहा!
लता प्रासर
सुहानी सुबह शायरी
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हरियाली मुबारक
गुनगुना नमस्कार
ओढ़ चुनरिया चली गुजरिया
चली प्रीत की शीत डगरिया
मितवा चलें बसंत के संग
थिरक रही देख धरा का रंग
पगडंडियों पर ओस की बूंदें
मन के सभी विकार को रौंदे
आओ चलें खेत खलिहान
पुकारे दिल से मेरा किसान!
लता प्रासर
चली प्रीत की शीत डगरिया
मितवा चलें बसंत के संग
थिरक रही देख धरा का रंग
पगडंडियों पर ओस की बूंदें
मन के सभी विकार को रौंदे
आओ चलें खेत खलिहान
पुकारे दिल से मेरा किसान!
लता प्रासर
ओस अश्क और स्वेद भरा सलाम
पूर्वाषाढ़ नक्षत्र का स्वागत
रीढ़ की हड्डियों में दर्द पिघलता रहा
वहीं से भाव का मर्म सब बहता रहा
अन्न से ही जिंदगी जिंदगी से अन्न है
मिट्टी का लाल रोड पर जलता रहा!
लता प्रासर
वहीं से भाव का मर्म सब बहता रहा
अन्न से ही जिंदगी जिंदगी से अन्न है
मिट्टी का लाल रोड पर जलता रहा!
लता प्रासर
अलविदा अगहन मास
शबनमी सुप्रभात
कितना दर्द लिखूं तू ही बता दे ऐ वक्त
जितना सर्द है समां जम रहा सबका रक्त
पगडंडियां चलकर राजपथ पर आ गईं
इतना गर्द है पड़ा फिर भी देखते नहीं भक्त!
लता प्रासर
जितना सर्द है समां जम रहा सबका रक्त
पगडंडियां चलकर राजपथ पर आ गईं
इतना गर्द है पड़ा फिर भी देखते नहीं भक्त!
लता प्रासर
गुड मॉर्निंग दोस्ती शायरी
अलविदा कशमकश भरा बीसवां साल
पौष का स्वागत
पौष का स्वागत
तिथि पत्रक कल बदल जाएगा
नयी उम्मीद कल फिर आएगा
हमारे तुम्हारे विचार मिलते रहें
नया सबेरा कल फिर आएगा
बीस विष घोलता रहा उम्र भर
सबको तोलता रहा ये उम्र भर
मुस्कुराहटों ठहाकों की झोली
इक्कीस थामकर कल आएगा!
लता प्रासर
नयी उम्मीद कल फिर आएगा
हमारे तुम्हारे विचार मिलते रहें
नया सबेरा कल फिर आएगा
बीस विष घोलता रहा उम्र भर
सबको तोलता रहा ये उम्र भर
मुस्कुराहटों ठहाकों की झोली
इक्कीस थामकर कल आएगा!
लता प्रासर
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