गरीबी और भुखमरी पर शायरी | Shayari On Unemploy
अमीर और गरीब पर कविता
एक प्यार ऐसा भी...
क्या हुआ बिछौना नहीं, नींद तो आँखों में है!
भूखे हैं तो क्या हुआ? ताकत इन बाहों में है!
ये अलग बात है कि मंजिल तो अभी दूर है,
हौसला है हिम्मतें हैं हम भी डटे राहों में हैं!
मासूमियत भटक रही, ये कौन सा न्याय है?
ईश्वर तेरी दया का ये कौन सा अध्याय है?
देखकर पत्थर के भी नैनों से बहते नीर हैं!
पर तुम पसीजते नहीं ये भी तो अन्याय है!
सिर को रख गोद में मैं माँ भी हूँ और हूँ बहन!
भूख हो या प्यास हो करना पड़ेगा सब सहन?
भूखे हैं तो क्या हुआ? ताकत इन बाहों में है!
ये अलग बात है कि मंजिल तो अभी दूर है,
हौसला है हिम्मतें हैं हम भी डटे राहों में हैं!
मासूमियत भटक रही, ये कौन सा न्याय है?
ईश्वर तेरी दया का ये कौन सा अध्याय है?
देखकर पत्थर के भी नैनों से बहते नीर हैं!
पर तुम पसीजते नहीं ये भी तो अन्याय है!
सिर को रख गोद में मैं माँ भी हूँ और हूँ बहन!
भूख हो या प्यास हो करना पड़ेगा सब सहन?
रोजी रोटी पर शायरी-सिस्टम पर शायरी
जाने वाले जा रहें, किसको है फुर्सत रुकने की?
रोना नहीं, मैं साथ हूँ! चल आ पोंछ दूँ तेरे नयन!
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी
जबलपुर
रोना नहीं, मैं साथ हूँ! चल आ पोंछ दूँ तेरे नयन!
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी
जबलपुर
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