हुस्नो जमाल की तारीफ में शायरी-Husn shayari
Beautiful Husn Shayari-shayari On Beauty
क़व्वाली
उनकी जलवागरी हो गई है।
शाम फिर सुरमई हो गई है।
इक झलक उनकी पातेही देखो।
तीरगी रौशनी हो गई है।
रंग फूलों का निखरा हुआ है।
नूर सा हर सू बिखरा हुआ है।
उन के मेंहदी लगे पाँव छू कर।
घास भी मख़मली हो गई है।
उनकी जलवागरी ...
शाम फिर सुरमई ...
कितना मायूस था दिलका मन्ज़र।
तीरगी बन चुकी थी मुक़द्दर।
उनके आते ही दिल के नगर में।
रौशनी - रौशनी हो गई है।
शाम फिर सुरमई हो गई है।
इक झलक उनकी पातेही देखो।
तीरगी रौशनी हो गई है।
रंग फूलों का निखरा हुआ है।
नूर सा हर सू बिखरा हुआ है।
उन के मेंहदी लगे पाँव छू कर।
घास भी मख़मली हो गई है।
उनकी जलवागरी ...
शाम फिर सुरमई ...
कितना मायूस था दिलका मन्ज़र।
तीरगी बन चुकी थी मुक़द्दर।
उनके आते ही दिल के नगर में।
रौशनी - रौशनी हो गई है।
प्यार मोहब्बत की शायरी-Muskurahat Shayari
उनकी जलवागरी ...
शाम फिर सुरमई ...
क्या ख़ुशी क्या है ग़म छोड़िए भी।
वाइ़ज़ -ए - मोहतरम छोड़िए भी।
जाम छलके हैं आँखों से उनकी।
मयकशी लाज़मी हो गई है।
उनकी जलवागरी ...
शाम फिर सुरमई ...
उन से पहले के मन्ज़र न पूछो।
बाग़ लगते थे बन्जर न पूछो।
जब से देखीं हैं उनकी अदाएँ।
हर कली मनचली हो गई है।
उनकी जलवागरी ...
शाम फिर सुरमई ...
मुस्कुराए कभी रो दिए हम।
हो न पाए मगर ग़म कभी कम।
उनके जलवों के सदक़े फ़राज़ अब।
हर ख़ुशी सर्मदी हो गई है।
उन की जलवागरी हो गई है।
शाम फिर सुर्मई हो गई है।
इक झलक उनकी पाते ही देखो।
तीरगी, रौशनी हो गई है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद
शाम फिर सुरमई ...
क्या ख़ुशी क्या है ग़म छोड़िए भी।
वाइ़ज़ -ए - मोहतरम छोड़िए भी।
जाम छलके हैं आँखों से उनकी।
मयकशी लाज़मी हो गई है।
उनकी जलवागरी ...
शाम फिर सुरमई ...
उन से पहले के मन्ज़र न पूछो।
बाग़ लगते थे बन्जर न पूछो।
जब से देखीं हैं उनकी अदाएँ।
हर कली मनचली हो गई है।
उनकी जलवागरी ...
शाम फिर सुरमई ...
मुस्कुराए कभी रो दिए हम।
हो न पाए मगर ग़म कभी कम।
उनके जलवों के सदक़े फ़राज़ अब।
हर ख़ुशी सर्मदी हो गई है।
उन की जलवागरी हो गई है।
शाम फिर सुर्मई हो गई है।
इक झलक उनकी पाते ही देखो।
तीरगी, रौशनी हो गई है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद
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