सड़िया ले अइह लाल लाल-भोजपुरी होली शायरी | होली गीत
Bhojpuri Holi shayari | Bhojpuri Holi geet Holi song
भोजपुरी होली 8–सड़िया ले अइह
सड़िया ले अइह लाल लाल
ये सइया आ गईले फगुनवा
होलिया मे रंगब तोहरो गाल
ये सइया आ गईले फगुनवा
सड़िया के संगवा लाल चुनार ले अइह
औरी ले अइह चूड़िया लाल लाल
ये सइया आ गईले फगुनवा
गुलाल ले अइहा सईया अबीरवो ले अइह
रंगवा ले अइह लाल लाल
ये सइया आ गईले फगुनवा
कंगना ले अइह सईया कनबलिया ले अइह
टिकुली ले अइह लाल लाल
ये सइया आ गईले फगुनवा
सड़िया ले अइह लाल लाल
ये सइया आ गईले फगुनवा
श्याम कुँवर भारती, राजभर
कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी
ये सइया आ गईले फगुनवा
होलिया मे रंगब तोहरो गाल
ये सइया आ गईले फगुनवा
सड़िया के संगवा लाल चुनार ले अइह
औरी ले अइह चूड़िया लाल लाल
ये सइया आ गईले फगुनवा
गुलाल ले अइहा सईया अबीरवो ले अइह
रंगवा ले अइह लाल लाल
ये सइया आ गईले फगुनवा
कंगना ले अइह सईया कनबलिया ले अइह
टिकुली ले अइह लाल लाल
ये सइया आ गईले फगुनवा
सड़िया ले अइह लाल लाल
ये सइया आ गईले फगुनवा
श्याम कुँवर भारती, राजभर
कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी
भोजपुरी होली शायरी | होली मुबारक शायरी | हैप्पी होली शायरी
भोजपुरी होली – आज भारत मे होली
आज भारत मे होली रे सखिया
सिमवा चलावे जवान गोली रे सखिया
आज भारत मे होली रे सखिया
केकर मजाल भारत अँखिया देखावे
झट से जवान उनकर नसिया दबावे
सिमवा पर खेले भर झोरी रे सखिया
आज भारत मे होली रे सखिया
जब केहु ललकारे देश के जवनवा
मारी दुशमनवा उनकर हरी लेले परनवा
होलिया खेले ले मारी गोली रे सखिया
आज भारत मे होली रे सखिया
जीती के जंगवा खेले रंग पिचकरिया
देशवा के होली देखि दुशमन फाटल नजरिया
खुनवा से खेले बीर होली रे सखिया
आज भारत मे होली रे सखिया
श्याम कुँवर भारती, राजभर
कवि,लेखक,गीतकार,समाजसेवी,
आज भारत मे होली रे सखिया
सिमवा चलावे जवान गोली रे सखिया
आज भारत मे होली रे सखिया
केकर मजाल भारत अँखिया देखावे
झट से जवान उनकर नसिया दबावे
सिमवा पर खेले भर झोरी रे सखिया
आज भारत मे होली रे सखिया
जब केहु ललकारे देश के जवनवा
मारी दुशमनवा उनकर हरी लेले परनवा
होलिया खेले ले मारी गोली रे सखिया
आज भारत मे होली रे सखिया
जीती के जंगवा खेले रंग पिचकरिया
देशवा के होली देखि दुशमन फाटल नजरिया
खुनवा से खेले बीर होली रे सखिया
आज भारत मे होली रे सखिया
श्याम कुँवर भारती, राजभर
कवि,लेखक,गीतकार,समाजसेवी,
तुझे रंग लगाऊँगा मै हर हाल मे-भोजपुरी होली शायरी होली गीत
होली गीत 3-मस्त फागुन
आया है मस्त फागुन
उड़ती है तेरी चुनरिया
सर सर बहती है मह मह महकति है हवा
तुझे रंग लगाऊँगा मै हर हाल मे
होली खूब खेलूँगा आज मै
चलो मनाए फागुन
आया है मस्त फागुन
उड़ती है तेरी चुनरिया
सर सर बहती है मह मह महकति है हवा
बागो बहारों कलियाँ खिलने लगी
फागुन महीने गोरी मचलने लगी
गोरी तू अन्जान मत बन
आया है मस्त फागुन
उड़ती है तेरी चुनरिया
सर सर बहती है मह मह महकति है हवा
तेरी अंगड़ाई मन बहकने लगा है
खेलूँगा होली दिल मचनले लगा है
संतोष भारती है तेरा सजन
आया है मस्त फागुन
उड़ती है तेरी चुनरिया
सर सर बहती है मह मह महकति है हवा
श्याम कुँवर भारती [राजभर]
कवि,लेखक, गीतकार, समाजसेवी
उड़ती है तेरी चुनरिया
सर सर बहती है मह मह महकति है हवा
तुझे रंग लगाऊँगा मै हर हाल मे
होली खूब खेलूँगा आज मै
चलो मनाए फागुन
आया है मस्त फागुन
उड़ती है तेरी चुनरिया
सर सर बहती है मह मह महकति है हवा
बागो बहारों कलियाँ खिलने लगी
फागुन महीने गोरी मचलने लगी
गोरी तू अन्जान मत बन
आया है मस्त फागुन
उड़ती है तेरी चुनरिया
सर सर बहती है मह मह महकति है हवा
तेरी अंगड़ाई मन बहकने लगा है
खेलूँगा होली दिल मचनले लगा है
संतोष भारती है तेरा सजन
आया है मस्त फागुन
उड़ती है तेरी चुनरिया
सर सर बहती है मह मह महकति है हवा
श्याम कुँवर भारती [राजभर]
कवि,लेखक, गीतकार, समाजसेवी
हमके फगुनवा मे ना तरसावा हो गुजरिया-भोजपुरी होली शायरी
भोजपुरी होली गीत 2-हमके फगुनवा मे
हमके फगुनवा मे ना तरसावा हो गुजरिया
तोहार रंग देईब ओढनी मारी पिचकरिया
हमके फगुनवा मे ना तरसावा हो गुजरिया
खेलबू नाही होरी त करब बलजोरी
आवा खेला होरी बना जनी रानी भोरी
मना जे करबू त बेकार होई उमरिया
हमके फगुनवा मे ना तरसावा हो गुजरिया
रंगवा लगाइब तोहके अबिरवा लगाइब
भरी अंकवरिया तोहके गरवा लगाईब
तू हउ राधा मोर हम हई सावरिया
हमके फगुनवा मे ना तरसावा हो गुजरिया
आईल फगुनवा बहे फगुनी बयार हो
मस्त महीनवा बढ़े हमरो प्यार हो
तोहरे पर लागल गोरी हमरो नजरिया
हमके फगुनवा मे ना तरसावा हो गुजरिया
श्याम कुँवर भारती [राजभर]
कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी
हमके फगुनवा मे ना तरसावा हो गुजरिया
तोहार रंग देईब ओढनी मारी पिचकरिया
हमके फगुनवा मे ना तरसावा हो गुजरिया
खेलबू नाही होरी त करब बलजोरी
आवा खेला होरी बना जनी रानी भोरी
मना जे करबू त बेकार होई उमरिया
हमके फगुनवा मे ना तरसावा हो गुजरिया
रंगवा लगाइब तोहके अबिरवा लगाइब
भरी अंकवरिया तोहके गरवा लगाईब
तू हउ राधा मोर हम हई सावरिया
हमके फगुनवा मे ना तरसावा हो गुजरिया
आईल फगुनवा बहे फगुनी बयार हो
मस्त महीनवा बढ़े हमरो प्यार हो
तोहरे पर लागल गोरी हमरो नजरिया
हमके फगुनवा मे ना तरसावा हो गुजरिया
श्याम कुँवर भारती [राजभर]
कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी
भोजपुरी देशभक्ति होली गीत – पिया तू फगुनवा मेंं
काहे नाही आईला पिया तू फगुनवा मेंं
मनवा लागे नाही ना पिया मोर फगुनवा मेंं
तू त हउआ फौजी सिमवा ललकारेला
देश दुशमनवा के चुनी चुनी मारेला
पिया केकरा संगवा ना खेलब होली अंगनवा मेंं
मनवा लागे नाही ना पिया मोर फगुनवा मेंं
सुनी के दहाड़ तोहार बैरी सियार जस कापेंले
पार नाही पावे तोहसे आपन जान लेके भांगेले
हमके गुमान तोहरो रहे डर दुशमनवा में
मनवा लागे नाही ना पिया मोर फगुनवा मेंं
बजर पड़ो अगिया लागो आतंकी घुसपैठीयन के
होलिया खेलिहा खुनवा बैरी चीन नसपिटियन से
रही रही ज़ोर मारे ना खुनवा बदनवा में
मनवा लागे नाही ना पिया मोर फगुनवा में
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो
मनवा लागे नाही ना पिया मोर फगुनवा मेंं
तू त हउआ फौजी सिमवा ललकारेला
देश दुशमनवा के चुनी चुनी मारेला
पिया केकरा संगवा ना खेलब होली अंगनवा मेंं
मनवा लागे नाही ना पिया मोर फगुनवा मेंं
सुनी के दहाड़ तोहार बैरी सियार जस कापेंले
पार नाही पावे तोहसे आपन जान लेके भांगेले
हमके गुमान तोहरो रहे डर दुशमनवा में
मनवा लागे नाही ना पिया मोर फगुनवा मेंं
बजर पड़ो अगिया लागो आतंकी घुसपैठीयन के
होलिया खेलिहा खुनवा बैरी चीन नसपिटियन से
रही रही ज़ोर मारे ना खुनवा बदनवा में
मनवा लागे नाही ना पिया मोर फगुनवा में
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो
भोजपुरी होली गीत 1-सगरो फगुनिया
आवा गोरी रंग देई तोहरो बदनीया
देखा चढ़ल सबके सगरो फगुनिया
रंगे केहु गाल गुलाबी
केहु रंगे बाल शराबी
रंगवा लगाला ना होई खराबी
रंगवा हउवे प्रेमवा के चाबी
बोला गोरी रंग देई तोहरो ओढ़निया
आवा गोरी रंग देई तोहरो बदनीया
चढ़ल केहु पर फागुन क नसा
चढ़ल केहु पर होली क नसा
चढ़ल केहु पर सजनी क नसा
महकल काहे फागुन गोरी तोहरो जवनिया
आवा गोरी रंग देई तोहरो बदनीया
केहु खेले होरी भर पिचकारी
गुलाल उढ़ावे केहु झोरी झारी
केहु बजावे झाल मंजीरा
केहु गावे झूमी खूब जोगिरा
मन करे रंग देई गोरी तोहरो नथुनीया
आवा गोरी रंग देई तोहरो बदनीया
श्याम कुँवर भारती [राजभर]
कवि,लेखक,गीतकार,समाजसेवी,
देखा चढ़ल सबके सगरो फगुनिया
रंगे केहु गाल गुलाबी
केहु रंगे बाल शराबी
रंगवा लगाला ना होई खराबी
रंगवा हउवे प्रेमवा के चाबी
बोला गोरी रंग देई तोहरो ओढ़निया
आवा गोरी रंग देई तोहरो बदनीया
चढ़ल केहु पर फागुन क नसा
चढ़ल केहु पर होली क नसा
चढ़ल केहु पर सजनी क नसा
महकल काहे फागुन गोरी तोहरो जवनिया
आवा गोरी रंग देई तोहरो बदनीया
केहु खेले होरी भर पिचकारी
गुलाल उढ़ावे केहु झोरी झारी
केहु बजावे झाल मंजीरा
केहु गावे झूमी खूब जोगिरा
मन करे रंग देई गोरी तोहरो नथुनीया
आवा गोरी रंग देई तोहरो बदनीया
श्याम कुँवर भारती [राजभर]
कवि,लेखक,गीतकार,समाजसेवी,
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