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चढते फगुनवा देवरू चुनमूनवा-भोजपुरी होली शायरी होली गीत

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चढते फगुनवा,देवरू चुनमूनवा,अईसन हमें घूरियाए कि रंगवा लगाहूँ न पाए ...2
देखन में लागे छोरा बाकिर बाटेन धपधप गोरा
हमरो भी मनवा लसफसाए बाकिर ,रंगवा लगाहूँ न पाए ..2
तनिकों न बुझाए उनका बाटे नया पिचकारी 
हरदम फिराक में रहेलन भर ली अकवाड़ी
एही कारण कबो कबो कोन्हरी में छुप जाए ,बाकिर 
रंगवा लगाहूँ न पाए ...2
अयीसन हरकत देख खिसिया जालन उनकर भैया
कतना समझाईला,फागुन भर बन जिन निर्दयीया
तब जाके खूँटा भाई मंद मंद मुस्काए,फिर भी देवरू रंगवा लगाहूँ न पाए ...2
चढते फगुनवा,देवरू चुनमूनवा,अयीसन हमें घूरियाए कि रंगवा लगाहूँ न पाए ...2
कि रंगवा लगाहूँ न पाए ..
गीतकार -कवि खूँटातोड़
मुंबई/कल्याण

झोरी भरी रंग लिए,मन में उमंग लिए-भोजपुरी होली शायरी होली गीत

खूँटातोङ का होली हरितालिका छंद क्रमांक 9
झोरी भरी रंग लिए,मन में उमंग लिए, गल्ली गल्ली फिरत आज सकल नर नार है।
ग्रीवा उदर भंग लिए,ज़त्था आपन संग लिए,फेंकत गुलाल आज होली का त्योहार है।।
चढत वसंत,हर्षित रोम रोम कंत कंत, लाल हरा छीटा चमकत परिधान है।
छुट्टी तनि आज करी,काम सब अकाज करी,होलिए के दिनन में मिलत इंसान है।।
भेजत संदेश,सुखी रह एजी मोरा देश,खुशी का प्रतीक यही जीवन का रंग है।
कहे खूँटातोङ,राजू बात सच मान मोर, भार्या वही सुखी जाके पिया रोज संग है।। 
फागुन का बयार मस्त,देवे अंगङाई स्वस्त, सिहरत करेजवा, लसफसात अंग अंग है।
होली है तो रंग है, अन्यथा जीवन बदरंग है,सेजवा पर बालम है तो वही हुङदंग है।।
 
सेजवा पर बालम है तो वही हुङदंग है।।
पावन पर्व होली के शुभ अवसर पर आप सबको तहे दिल से हार्दिक बधाईयाँ एवं 
बहुत बहुत शुभकामनाए
कवि : आर बी सिंह,खूँटातोङ
लेखक,व्यंग्यकार,पत्रकार
गीतकार

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