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प्यार का इजहार शायरी Izhaar e Ishq Shayari इजहार ए इश्क़ शायरी

प्यार का इजहार शायरी Izhaar e Ishq Shayari इजहार ए इश्क़ शायरी

ग़ज़ल
इज़हारे इश्क़ करके वो जब पीछे हट गए
मेरी ख़ुशी के सारे सफ़ीने उलट गए

शीशे में अपने ह़ुस्न की राअ़नाई देख कर
शरमा के अपनी बाहोंं में वो ख़ुद सिमट गए

कुछ आर्ज़ू - ए - यार में कुछ इन्तिज़ार में
सब माहो साल ज़ीस्त के ऐसे ही कट गए

जो पाठ एकता का पढ़ाने को आए थे
वो ख़ुद ही आज देखिए फ़िरकों म़े बट गए

चालाकियाँ दिखा के वो ख़ुश थे बहुत मगर
हमने चली जो चाल तो पासे पलट गए

गुल अपनी बेवफ़ाई पे नादिम हुए बहुत
जब ख़ार आ के पैरों से मेरे लिपट गए

कब तक न रंंग लाएगी आख़िर दुआ़ फ़राज़
हम भी जबीने शौक़ झुकाने पे डट गए
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद

प्यार का इजहार शायरी Izhaar e Ishq Shayari इजहार ए इश्क़ शायरी

ग़ज़ल

आप की ये क़द्रदानी शुक्रिया।
हर तरफ है गुलफ़शानी शुक्रिया।

बिन बुलाए आ गए ख़्वाबों मे तुम।
मुझपे इतनी मेहरबानी शुक्रिया।

जी नहीं भरता कभी तस्वीर से।
दे गए कैसी निशानी शुक्रिया।

ज़ुल्फ को लहरा के अपनी ऐ सनम।
कर गए तुम धूप धानी शुक्रिया।

इक झलक दिखला के अपने हुस्न की।
दे गए गुल को जवानी शुक्रिया।

आप की यादों के दीपक जल गए।
शाम आई फिर सुहानी शुक्रिया।

दे दिया दिल अपने इस बीमार को।
बात तुम ने ख़ूब मानी शुक्रिया।

जब से दीवाने बने हैं आप के।
ख़ाक हम ने ख़ूब छानी शुक्रिया।

आज फिर आँखों मे मेरी ऐ फराज़।
आ गया खु़शियों मे पानी शुक्रिया।
सरफराज़ हुसैन फराज़ पीपलसाना मुरादाबाद यू.पी. 

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