बात करने का बहाना हो गया,
रोज यूँ घर द्वार आना हो गया।
वो मिले मेरा बहाना हो गया,
आज उसको ही दिखाना हो गया।
बहाना बनाने पर शायरी - बहाने पर शायरी - Bahana Banana Shayari
बहाना हो गया
ग़ज़ल
बात करने का बहाना हो गया,
रोज यूँ घर द्वार आना हो गया।
वो बिना कारण कहीं जाते नहीं,
है नया उनका ठिकाना हो गया।
आजकल वो रातभर सोये नहीं,
नींद में सोये तो जगाना हो गया।
हो सदा उनकी रहें बातें यहाँ,
मान कर वादा निभाना हो गया।
जानकर अंजान वो क्यों थे रहे,
टोककर उन्हें सिखाना हो गया।
प्रीत की डोरी फिसलती ही रही,
बीत लम्हों का जमाना हो गया।
खोल मनसीरत यहाँ जो राज है,
बोलकर रास्ता दिखाना हो गया।
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
बहाना पर शेर शायरी - बहाने पर ग़ज़ल शायरी
ग़ज़ल
वो मिले मेरा बहाना हो गया
आज उसको ही दिखाना हो गया
आ रहे हैं बिन बुलाए वो यहाँ
देख तो उनका ठिकाना हो गया
उठ रही है आँख उसकी ओर अब
दिल उसी पर तो लगाना हो गया
बात अपनी ही कही जाती रही
हाँ वहीं पर तो जताना हो गया
आ गए हैं जो यहाँ पर बिन कहे
वो कहे जाते निभाना हो गया
सुन रहे थे हम वहाँ उसकी कही
बात उसकी ये सिखाना हो गया
दिख गए वो 'श्याम' महफ़िल में यहाँ
आँख उठा दी वो दिवाना हो गया
श्याम मठपाल,उदयपुर
बहाना शायरी - बहानेबाजी पर शायरी - नींद का बहाना शायरी
बहाना शायरी फोटो- Bahana Shayari Image
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