मजीदबेग मुगल शहज़ाद की अनोखी हिंदी ग़ज़लें | Anokhi Hindi Ghazal
ग़ज़ल
हालात के हाथों क्या नही करना पड़ा मुझे।
ऐ कफ़न तुझ को पाने के लिए मरना पड़ा मुझे।।
जिन्दगी जद्दो जहेद करता रहा हालात से।
तेरे खातिर समझो आखिर हरना पड़ा मुझे।।
चट्टानों से टकराने का हौसला दिया कुदरत ने।
शैतानी हालात हुए कि डरना पड़ा मुझे।।
जो गलती नही करनी थी वो कर बैठे हम तो।
उसका हरज़ाना आखिर तो भरना पड़ा मुझे।।
किसी कि उम्मीदों के खातिर ऐसा भी हुआ।
डुबा सफ़िना मेरा आखिर तैरना पड़ा मुझे।।
इससे ज्यादा ख़ामियाजा और क्या होगा पता।
एक दरिया की तरह से आखिर सरना पड़ा मुझे।।
'शहज़ाद' खुशबूदार फूल कब तक रहते साबुत।
खुशबू की तरह आखिर बिखरना पड़ा मुझे।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद'
हिगणघाट, जि, वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229
हिंदी ग़ज़ल : खोटा पैसा बाजार में नही चलता है।
ग़ज़ल
खोटा पैसा बाजार में नही चलता है।
वो अलाल अपनी जगह से नही हिलता है।।
नाकाम नाकारा लोगों की यें निशानी।
दुसरों की तरक्की पर हमेशा जलता है।।
चेहरें के भोलें दिल के काले अंधेरे।
देखा जुल्मकी गलियों में सदा पलता है।।
वो कितना गहरा दाग सिने पे लिये हुये।
सच्चाई का आईना देख कर खलता है।।
अखबार में छपे कई किस्सें जिसके हरदम।
जिस साये में कानून का सूरज ढ़लता है।।
जितना उंचा उठेगा बर्फ का पहाड़ एक दिन।
आखिर जमके गरमी में देखा गलता है।।
झूठे गवाह की बदौलत मुजरीम छुटा।
कुदरत के जाल में फसे कब हाथ मलता है।।
'शहजाद' लाख पर्दा रखों किसी के गुनाह पर।
जुल्म की दुनिया में जुल्म कब तक फलता है।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद'
हिगणघाट,जि,वर्धा,महाराष्ट्र
8329309229
हिंदी ग़ज़ल शायरी : आस्मानों की बिजलियां वो कैसे गिराते हैं
ग़ज़ल
आस्मानों की बिजलियां वो कैसे गिराते है।
ये गलत बात है लोग फालतु हमें ड़राते है।।
उनसे नैना मिलें कहते वो प्यार हो गया।
बैल समझा क्या हमें ऐसे ही चरातें है।।
उनकी चाहत में लूट गये वो बताने लगे।
अंधे लोंग कभी क्या किसी का दिल चुराते है।।
इश्क में नुकसान जान का माल का मालूम।
पागल मजनु बनके एक नई बज्म भराते है।।
एक लैला एक मजनु हर आशिक माशुक बन गयें।
मर कर भी एक नई और कहानी कराते है।।
इश्क की स्कुल नही खोलतें नये को पढ़ानें।
जानकारी या सबक याद कर गम हराते है।।
'शहजाद' मोहब्बत मजाक नही कुदरती देन।
दर्द गम प्यार तो वही जाने दिल थर्राते है।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद'
हिगणघाट,जि, वर्धा,महाराष्ट्र
8329309229
हार्ट टचिंग ग़ज़ल इन हिंदी : पर्दा हटाओं चेहरों से दागदार है
ग़ज़ल
पर्दा हटाओं चेहरों से दागदार है।
जो भी जुल्म होते वो उसके सरदार है।।
हक की रोजी रोटी छिनना मामुली बात।
इन्हें ही कहे अपने वतन के गद्दार है।।
राह के राहगीर लुटना उन्हें मारना।
उनपे लानत भेजो ऐसे भी मक्कार है।।
किसानों को राह पर देखकर नही बोले।
फिर कैसे कहें हमारें देश में सरकार है।।
पढ़ाई को भूल जाओं नव जवानों आगें।
कोरोंना नाम का शैतान बरकरार है।।
वतन आझाद वाला दिन आने वाला वो।
लाल किला किरायें पर किसकी दरकार है।।
'शहज़ाद' वतन की खुशिया लौट आयें अभी।
हर वतन वासी के दिल से यही पुकार है।।
मजीदबेग मुगल 'शहजाद'
हिगणघाट, जि,वर्धा,महाराष्ट्र
8329309229
सबसे गम भरी गजल : जो नफरत करते हमारे नाम से
ग़ज़ल
जो नफरत करते हमारे नाम से।
वही इन्तेज़ार कर रहें शाम सें।।
वाकिफ़ हम ही नही हमारे नाम से।
बहुत करीब रहते एक ही काम से।।
हमारे इन्सानी सलुक भाते हैं।
वैसे ताल्लुक हमारा एक धाम से।।
शायरी का सुनते पढ़तें वो नाम।
कंम्पनी में लगें साथ ही काम से।।
वो आजाद किस्म का मिजाज रख़ते।
इन्सान क्या मतलब रहिम राम सें।।
दिल का सौदा रजिस्ष्ट्री नही चाहता।
भरोंसे पे जिन्दगीं नही दाम से।।
आऊट मैदान सें गर रन नही बनें।
खिलाड़ी छलके नज़रों के ज़ाम सें।।
'शहज़ाद' उन्हें पुकारें किस नाम सें।
तुम्हें पता नही लगें बेनाम सें।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद'
हिगणघाट जि,वर्धा, महाराष्ट्रा
8329309229
ग़ज़ल की दुनिया : कीमत नहीं किसी के अहसान की
ग़ज़ल
कीमत नहीं किसी के अहसान की।
यही तो दौलत बची इन्सान की।।
मदत करें किसी को फर्ज मानकर।
जान बच सक्ती किसी नादान की।।
बीज बोया खाद पानी बना पेड़।
दुआ किसी की उतरी थकान की।।
किसी के बुरे वक्त पे की मदद।
शख्सियत नही थी वो पहचान की।।
धन दौलत से सिर्फ नहीं होती।
मदद हमेशा मीठी जुबान की।।
दौड़कर चलें आयें बच्चे घर।
खुशबू नाक मे जो पकवान की।।
नहीं करना वही करेंगे जरूर।
फ़िक्र नहीं उन्हें खानदान की।।
"शहज़ाद 'इज्जत से खेल जातें।
परवा सिर्फ उनकों अपनें शान की।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिगनघाट जि वर्धा महाराष्ट्र
8329309229
प्रसिद्ध ग़ज़ल : उनके जल्वों से दीवाना हुआ गरीब है
ग़ज़ल
उनके जल्वों से दीवाना हुआ गरीब है।
कहावत वही हुई जींस का जो नसीब है।।
किस्मत का लिखा टलेगा नही कभी मानों।
हो जाता वो दूर जो किसी के करीब है।।
जमीन चिर के पेरता दाना दहका कभी।
देता उसे खाने आले मूल हबीब है।।
पागल कहतें उस को जो लैला मजनू।
देखा जमाना चाहतदार का रकीब है।।
दो पाटों के बीच बचता अजीब करिश्मा वो।
जिस ने भी देखा इसी का नाम नसीब है।।
फूलों की हिफाज़त के दरबान बने काटे।
समझो ये भी फलसफा मानों वाजीब है।।
हाथों की अंजुल से लिया पानी बचा बहा।
उसे उतना मिला जीतना उसका नसीब है।।
वक्त के बाद गिर जाते मजबूत वो दात।
उम्र बढे पचने की ताकत कम अजीब है।।
"शहज़ाद 'जो भी होता समझो ठीक हुआ वो।
किस्सा तो अपना वही जाने जो साहिब है।।
मजीदबेग मुगल 'शहजाद '
हिगनघाट जि वर्धा महाराष्ट्र
8329309229
सुपर शायरी हिंदी : जीतना था जिसको वही तो हार गया है
ग़ज़ल
जीतना था जिसको वही तो हार गया है।
रह गया सपना धरा समंदर पार गया है।।
जिसकी उम्मीद वही मिट्टी चाटा जमीन की।
किस की थी बाजी पता कौन मार गया है।।
जिन्दगी और खेल एक मन की दो तलवार।
जो संभला संभल नही तो खंदे चार गया है।।
उजाला जीस्त में मेहनत किस्मत लगन का।
जिस के पास ये नहीं वो लाचार गया है।।
मदारी का जमाव के लिए बजेगा डमरू।
लोग नहीं आयें कहेगा शिकार गया है।।
निकला सूरज पूरब पश्चिम में क्यों डूबा।
जमीन घूमें ये दुनिया में बिचार गया है।।
आईना सच कहता फिर क्यों तुटता रहा।
सिंगार सवारे नसीब कब सवार गया है।।
'शहज़ाद ' सितम गरों के सितम कम नही होंगें।
जमाना कयामत आसार के पार गया है।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिगनघाट जि ,वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229
नसीब पर शायरी ग़ज़ल हिंदी शायरी फोंट
गज़ल
हमारे नसीब का अंधेरा झेला हमनें।
जिन्दगी का खेल ऐसे ही खेला हमनें।।
आती मुसीबतों का दटकर किया सामना।
किसी का न कभी भी चुराया धेला हमनें।।
गुरबत हमारा साया बनकर चलती रहीं।
पढें लिखें रहें पर चलाया ठेला हमनें।।
ख्वाबों के महेल हमनें भी बांधे थे कभी।
सजाया जिन्दगी का थोडा मेला हमनें।।
हालात जैसे भी हो नही था शिकवा तो।
कभी शराब का नही उठाया पेला हमनें।।
इन्सानियत शराफ़त इमानदारी सबकुछ।
समझा इस दौलत को मिट्टी का ढ़ेला हमने।।
'शहज़ाद 'रंग में रंग मिलाओ मिले अलग रंग।
लेकिन दुनिया खुद को समझा अकेला हमनें।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिगनघाट, जि,वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229
प्यार पर शायरी : किसी की ख़ैरियत पूछना गुनाह है क्या
ग़ज़ल
किसी की ख़ैरियत पूछना गुनाह है क्या।
पुछें मार देते हादसा सुनाह है क्या।।
मुँह छिल गया थूक दिया जो खाया पान वो।
पुछ लेते पान में ज्यादा चुनाह है क्या।।
अखबार में आई ख़बरे कारनामों की।
हो मुसीबत में ली किसी की पनाह है क्या।
किसी का फोन किसी ने पा लिया धोखे से।
ऐसे लगाता उनका सबकुछ फ़नाह है क्या।।
कानून को सबूत चाहिए किसी गुनाह के।
हा गुनाह बगैर सबूत के बना ह है क्या।।
उदास चेहरे बता देते अपनी कैफ़ियत।
कत्ल के बाद खून से पैर सनाह है क्या।।
'शहज़ाद 'बदले जमाने की तस्वीर बता।
सच ईमान इन्सानियत की अनाह है क्या।।
मजीदबेग मुगल "शहज़ाद "
हिगनघाट जि वर्धा महाराष्ट्र
8329309229
मोहब्बत भरी गजल शायरी हिंदी में
गज़ल
खुशियों का नही ठिकाना होता उनका आना है।
भूखे रहनें वाला भी खा जाता बहुत खाना है।।
देखों बरसों जिसकी राह मे काटे दिन और रात।
इन्तज़ार खत्म हुआ आज अभी उसको पाना है।।
लुटा दिय़ा रूपिया पैसा था पास में सरमाया।
प्यार करना पता चलें कुछ नहीं साथ जाना है।।
जानवर इन्सान में एक बात सरीखी वो प्यार।
प्यार को बस अपनें जान से ज्यादा माना है।।
तुटा डाल से वो फूल न जानें कहा गया होंगा।
किसी की राह में खुद को मिटा मकसद बनाना है।।
समंदर का गुस्सा तबाही जमाना जानता रहा।
माना गुस्सा किसी का भी बस बर्बादी लाना है।।
'शहज़ाद 'आदाब मोहब्बत के सिखलों जरा अभी।
कल तुम्हें भी जमाने को ये सब कुछ बताना है।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिगनघाट, जि,वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229
शायरी लव स्टोरी : दरबदर भटकता रहा खुशियाँ पाने को
ग़ज़ल
दरबदर भटकता रहा खुशियाँ पाने को।
आज भी नहीं मिला पेट भर खाने को।।
आदमी ता उम्र कमाता जीने के लियें।
आखिर क्यों तरसता रहेंगा एक दाने को।।
वतनी छोड़कर वतन गया कुछ कमाने को।।
नहीं मिली इजाजत वतन में कुछ लाने को।।
औरों के लिये सोचता रहता भला सदा।
वो क्यों पड़े उसको जाल में फंसाने को।।
अच्छों के साथ अच्छा क्यों नही हो रहा।
आ गये जालिम क्यों उसका घर जलाने को।।
अजमत पायी उसने बड़ी हयात में अपनी।
उठ गयें क्यों रकिब तो अजमत घटाने को।।
भूला दे गुजरांन अपनी हमेशा के लिए।
लोग भला क्यों आ गये याद दिलाने को।।
'शहज़ाद ' हयात और मौत के बीच का सफर।
तो चाहिए इमानदारी वाला चलाने को।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिगनघाट जि वर्धा महाराष्ट्र
8329309229
हिंदी शायरी : भारत में कैसा वातावरण है जान लो
ग़ज़ल
भारत में कैसा वातावरण है जान लो।
अपने वतन को सभी से बड़ा है मान लो।।
छोड़ दो एक दूसरे पर तंज बाजी करना तुम।
ना तुटने पाये कभी एकता का ध्यान लो।।
किस लियें फेकते हो एक दूसरे पर पत्थर।
गलत विचार सुनने बंद कर लो वो कान लो।।
लालच भड़काव से भड़काने की कोशिश।
ना करों बदनाम वतन की उसकी शान लो।।
सरकार छोड वतन में भेदभावी विचार।
लोकशाही का देश इस में सब समान लो।।
ये देश सभी की कुर्बानी का फल बना है।
चाहों देश को हाथ में तिरंगा निशान लो।।
लुट गये बर्बाद होगयें वतन की खातिर जो।
याद कर लो देश भक्त वतन पे कुर्बान लो।।
'शहज़ाद ' बहुत चल रही इम्तिहान की घड़ी।
बंद करदो फुजुल में ना किसी की जान लो।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिगनघाट जि वर्धा महाराष्ट्र
8329309229
रूस और यूक्रेन युद्ध पर गजल शायरी
गज़ल
हिरोशिमा नागासाकी जहाँ भूला क्या।
युक्रेन किव पर लगे मौत का दर खुला क्या।।
हजारों मारे जा रहें जहाँ खामोश है।
लढ़ाई चल रहीं कही जलेगा चूला क्या।।
बड़ें देश इन्सानियत भूलकर खामोश है।
किसी देश की तबाही संसार लूला क्या।।
विनाशक हथियार जरा सी देर में तबाही।
देश जीता तो मिले प्रगति का झूला क्या।।
इस लडाई से सबक जहाँ भी ले ले वर्ना।
समझ लो कयामत का दरवाजा खुला क्या।।
सुख चैन तबाही रशीया करें क्या पाये।
धन मानव बर्बाद खुद का अंजाम भूला क्या।
'शहज़ाद 'तबाही का आईना दिखा दो ना।
महंगाई नफरत का बाजार खूला क्या।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिगनघाट,जि,वर्धा महाराष्ट्र
चाहत पर मोहब्बत भरी गजल शायरी
गज़ल
झलक गया उनका कैसें आचल है।
चाहत दार उनका हुआ पागल है।।
सुकून पायें तो कैसे पाये दिलबर।
चाहत दार परिन्दा हुआ घायल है।।
क्या धन दौलत से मोहब्बत खरीदे।
ये न हो सकेंगा जमाना कायल है।।
मोहब्बत वालों के दुश्मन आज भी।
प्यार करें तो मौत मिली पायल है।।
चाहने वाले नही मानें धर्म को।
लोकशाही चाहतदार में दाखल है।।
बग़ैर दाॅत वाले भी जिसे खा सके।
ऐसी चीज बनी कुदरत की चावल है।।
'शहज़ाद 'गरमी में पानी की किल्लत।
बुझाये धरा की प्यास वो बादल है।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिगनघाट, जि,वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229
धर्म और मजहब पर शायरी ग़ज़ल हिंदी फौंट में
गज़ल
मजहब धर्मों का बना दिया धंदा है।
पता ना आदमी क्यों हुआ अंधा है ।।
आदमीं खून बहादे लगा दे आग ।
खुदी के गले में फांसी का फंदा है।।
मिलाने खूर्ची डालें ऑख में मिर्ची।
कभी भी मांगले जनता से चंदा है।।
खुद को बतादे शूध्द शाकाहारी।
बस सुबह शाम खाने में एकअंडा है।।
दाॅत नही मुँह में किसी पर दाॅत रखें।
यह समझने लायक होगया फंडा है।।
पुलिस है शासन है कायदा है अभी।
गुंडा गर्दी का चलेगा सदा डंडा है ।।
'शहज़ाद 'भटके काम क्यों नहीं मिला।
हर कोई यहीं कहता काम मंदा है ।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिगनघाट, जि,वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229
दो रास्ते सदा से मंझिल पाने को
गज़ल
दो रास्ते सदा से मंझिल पाने को।।
एक दोजख एक जन्नत रहें जाने को।।
दोन्हों रास्तों से लोग जाते है।
यु नहीं पाते नेकी के खंजाने को।।
खुशी लुटा दी और की खातिर उसनें।
अपना भी औरों को दिया खाने को।।
खामोशी बेवजह नहीं होती कभी।
थाल भी कम पड़े देख बजाने को।।
इश्कबाजी में अंदाज बया और हो।
प्यार में नेक सर सही कटाने को।।
साथीदार चाहिए दिलवाला सच्चा।
वर्ना दुनिया सदा तयार सताने को।।
'शहज़ाद ' इम्तीहान हर बार होते।
खुदा अब कौन आयेंगा बचाने को।।
मजीदबेग मुगल 'शहज़ाद '
हिगनघाट, जि,वर्धा, महाराष्ट्र
8329309229
प्यार भरी ग़ज़ल : ये ना पूछ्ना क्या मिलता प्यार से
गजल
लो आँख खुश हो गयी उनके दिदार से।
ये ना पूछ्ना क्या मिलता प्यार से।।
जिस्म तपता नजर आता छुके देखलों।
वैसे तपिश होती रहती बुखार से।।
देखने से भूख प्यास मिट जाती है।।
लेकिन बंधन आता उठती दिवार से।।
बिमारे दिल हंस देता उन्हें देखकर।
जैसे मरिज खुश होता कभी अनार से।।
अलामत बला या कहें कोई शय नहीं।
मौत आशिक की लगे हो तकरार से।।
आये आशियाने में खुदा की कुदरत।
चाहत में कह नही पाता सरकार से।।
दुवा माँगता आँख खुले उन्हे देखू।
ज्यादा कुछ नही आशिके किरदार से।।
दिदार ही दवा बन जाती कहते लोंग।
बात मनवा लिजिए सच्चे वफादार से।
शहजाद, भूल जाता सारे दुख दर्द गम।
जब भी मिलता अपने दिले मुख्तार से।।
मजीदबेग मुगल, शहजाद,
हिगणघाट जि,वर्धा महाराष्ट्र
8329309229
0 Comments