हया आँखों में मुखड़ा ख़ूबसूरत : तारीफ शायरी Khubsurti Ki Tareef Shayari
ग़ज़ल
हया आँखों में मुखड़ा ख़ूबसूरत
नहीं है कोई तुझसा ख़ूबसूरत
तेरा चेहरा चमकता है कुछ ऐसे
हो जैसे कोई शीशा ख़ूबसूरत
मेरी आँखों को ऐ मेरे सनम बस
लगे तेरा ही जलवा ख़ूबसूरत
अजब सी है खनक बातों में तेरी
तेरा लहजा है कितना ख़ूबसूरत
हमें पागल न कर डाले कहीं यह
ह़सीं ज़ुल्फ़ों का गजरा ख़ूबसूरत
बढ़ाता है तेरे नयनों की शोभा
बरेली का यह सुरमा ख़ूबसूरत
ये कर देता है मद्धम शम्स को भी
तेरी आँखों का चश्मा ख़ूबसूरत
फ़राज़ आँखों ने मेरी तो कहीं भी
सनम तुझसा न देखा ख़ूबसूरत
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
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