Mushkil Shayari | Mushkil Waqt Par Shayari मुश्किल शायरी
मुश्किल
यह बार ए अलम अब उठाना है मुश्किल।
उन्हें अपने दिल से भुलाना है मुश्किल।
हर इक बात पर वो बिगड़ते हैं मेरी।
उन्हें हाले दिल भी सुनाना है मुश्किल।
यक़ीनन वो जादूगरी से हैं वाक़िफ़।
मगर दिल हमारा चुराना है मुश्किल।
गले से लगाएँ भला उनको कैसे।
निगाहें भी जिनसे मिलाना है मुश्किल।
कहीं और लेकर चलो मुझको अब तुम।
यहाँ मिलके खाना कमाना है मुश्किल।
जिसे सारी दुनिया ने खोटा कहा है।
वो सिक्का कहीं भी चलाना है मुश्किल।
तबीअ़त ही मिलती नहीं जिनसे अपनी।
फ़राज़ उनसे रिश्ता निभाना है मुश्किल।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
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