कैद शायरी Qaid Shayari कैदी शायरी Qaidi Shayari In Hindi
हम उसूल - ए - ज़िन्दगी की ख़ूबियों में क़ैद हैं
वो मगर अपनी अना के ज़ाबियों में क़ैद हैं
आपके जलवे कुछ ऐसे पुतलियों में कैद हैं
तितलियाँ जैसे चमन की वादियों में कैद है
यह भला कैसे कहूँ मैं चाँदनी बिल्कुल नहीं
चाँद दिखते तो हैं लेकिन खिड़कियों में कैद हैं
कोई कारिन्दा ह़ुकूमत का ये देखे तो सही
किस तरह हम लोग अपनी बस्तियों में कै़द हैं
कामयाबी की ख़ुशी को वो क्या जानें दोस्तो
लोग जितने भी यहाँ नाकामियों में कै़द हैं
आप सुनकर रो पड़ेंगे छोड़िये भी ऐ हुज़ूर
दर्द के नग़मे जो मेरी सिस्कियों में क़ैद हैं
गुल्सिताँ के ख़ार भी बस इतना कह कररो पड़े
फूल जैसे जिस्म कितने धज्जियों में क़ैद हैं
इश्क़ से ग़ाफ़िल रहे जो वो बुलन्दी पा गए
हम से दीवाने तो अब भी पस्तियों में क़ैद हैं
कैसे बदला जाए उनके ज़हनो दिल को ऐ फ़राज़
ज़ातो मज़हब की यहाँ जो रस्सियों में कैद हैं
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसाना मुरादाबाद
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