रूहों से मोहब्बत करते हैं : रूह पर शायरी Ruh Se Mohabbat Shayari
गज़ल
【१】
सलोने बदन की बात न कर,
हम रूहों से मोहब्बत करते हैं।
इनकार पर ठहर भर,
हम आर पार की बात करते हैं।
गुरूर क्या (?)
झुर्रियां भी नजारा दिखायेगीं,
गुफ्तगू और ख्वाब की नहीं,
हम कजा में खुशगवार रहते है।
【२】
आ आज कुछ बात रूबरु हो करते हैं।
मन की बात खोल आज रखते हैं।
बदसूरत इतना भी नहीं लगता,
दिल के आइने से आज बात करते है।।
【३】
जमीं की परियों के पर नहीं होते।
चिलमन पार ही हीना की खुशबू आई,
लुटेरों के गुनाह साबित नहीं होते।।
【४】
श्रृंगार रस में तीसरा न कभी तैरता।
एक दूजे पे मोहसिन फिदा होता।
दीवारे सारी ढह बिखर जाती हैं,
चश्मदीद गवाह सिर्फ खुदा होता।।
【५】
हम तैयारी हर्फों से नहीं करते।
मिज़ाज तरोताजा हमेशा रखते।
बात आमने सामने हो के कर,
फ़तह चूमते नहीं इंतजार करते।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
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