सौंदर्य शायरी Soundarya Shayari : पूर्णिका छलकता सौंदर्य
पूर्णिका छलकता सौंदर्य
रूप का छलकता लबालब सौंदर्य बगैर मेरे क्या होगा।
नाक नुकीली आंख नसीली बोली सुरीली बगैर मेरे क्या होगा।
चीत चुराया मन को लुभाया हिरनी की चाल है तेरी।
कमर कटिली जुल्फ बिखरी नैन कजरी बगैर मेरे क्या होगा।
गैरो से प्यार की बात मुझसे करते तकरार कैसा प्यार।
मैं तेरा कद्रदान होठों मंद मुस्कान सब मेरे बगैर क्या होगा।
चाहा ईतना तुझको सागर की गहराई से भी ज्यादा।
तेरे बदन की महक चेहरे की चमक बगैर मेरे क्या होगा।
हो जाए दिल बेईमान हिल जाए ईमान तू है ही ऐसा मगर।
संभाल रखा है जो मैने ईमान ओ धरम बगैर तेरे क्या होगा।
हुस्न तुझसा नही दुनिया में तु ही तू बसा है दिल में मेरे।
जिंदगी मेरी तेरी अमानत गर तू न मिला बगैर तेरे क्या होगा।
श्याम कुंवर भारती।
बोकारो झारखंड
मुक्तक काला तिल : सौंदर्य शायरी Soundarya Shayari
दिल में था सब करारा मेरा यार ले गया।
इल्जाम मुझ पर मुझे उससे प्यार हो गया।
कातिल है नजरे गाल का तिल भी कातिल।
कभी प्यार किया नही कैसा दिलदार हो गया।
श्याम कुंवर भारती
0 Comments