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उदास दिल ग़म शायरी Udas Dil Shayari उदासी शायरी Udasi Shayari

उदास दिल ग़म शायरी Udas Dil Shayari उदासी शायरी Udasi Shayari 

ग़ज़ल
लगा है जब से यह दिल तीरगी से।
उखड़ती है तबीअ़त रोशनी से।

न छल जाए कहीं फिर कोई छलिया।
चुराता हूँ नज़र यूँ हर किसी से।

अजब सी चोट लगती है जिगर पर।
वो जब मिलता है मुझसे बे दिली से।

न नज़रें मानती हैं और न दिल ही।
मैं जाऊँ किस तरह उसकी गली से।

दुआ़ देते हो क्यों जीने की मुझको।
मैं आ़जिज़ आ चुका हूँ ज़िन्दगी से।

पिलाता है निगाहों से जो अपनी।
वो क्या रोकेगा मुझको मयकशी से।

बहुत उकता गया हूँ मैं फ़राज़ अब।
तिरी ग़म्माज़ियों से मुख़बिरी से।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद

उदास दिल की शायरी

 ग़ज़ल
दिल को अपने उदास क्या करना।
उन के आने की आस क्या करना।

रब न चाहे तो कुछ नहीं होगा।
दुश्मनों का हिरास क्या करना।

जब ये मालूम है के ख़ाली है।
उल्टा सीधा गिलास क्या करना।

काम बिगड़ेगा या बनेगा जी।
बिन किए कुछ क़यास क्या करना।

आप मुन्सिफ़ नहीं हैं क़ातिल हैं।
आप से इल्तिमास क्या करना।

तेरे दर्शन ही जब नहीं होते।
फिर तेरे दर के पास क्या करना।

लोग दुश्मन हों प्यार के जिसमें।
ऐसी नगरी में वास क्या करना।

उनकी ख़ातिर फ़राज़ रो-रो कर।
ख़ुद को यूँ बदह़वास क्या करना।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद

उदास मन शायरी : कहाँ दिल में ये धुआँ था तेरी दिल्लगी...

ग़ज़ल
कहाँ दिल में ये धुआँ था तेरी दिल्लगी से पहले
मैं बहुत ही शादमाँ था तेरी आशिक़ी से पहले

तेरा रास्ता मैं दिलबर भला कैसे रोक पाता
मुझे होश ही कहाँ था तेरी रुख़सती से पहले

न रदीफ़ का तसव्वुर न ख़याल काफ़ियों का
मैं तुझे ही सोचता हूँ सदा शायरी से पहले

तेरा नाम जब लिया तो मिला दिल को चैन या रब!
मेरे दिल को कब सुकूँ था तेरी बन्दगी से पहले

मज़ा क्या है आशिक़ी में पता तुझ को तब चलेगा
तू लगा तो दिल को अपने किसी आदमी पहले

न कुरेद मेरे दिल को, न तू पूछ ह़ाल मेरा
मेरी आँख रो पड़ेगी मिरी मुफ़लिसी से पहले

मेरा क़र्ज़ देखिए अब वो मुआ़फ़ कर रहे हैं
न मुआ़फ़ कर सके वो मुझे ख़ुदकुशी से पहले

मैं फ़राज़ कैसे कह दूँ भला उनको अच्छा रहबर
जो के ज़ात पूछते हैंं यहाँ हर किसी से पहले
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश

उदास इश्क शायरी यह इश्क का मरकज़ है

यह इश्क का मरकज़ है संगीन बयाबाँ है।
दाखिल जो हुआ इसमे वो ख़ुद पे पशेमाँ है।

क्या बात है ऐ साक़ी मयख़ान ए उल्फ़त में।
जिस पर भी नज़र डाली वो चाक गरेबाँ है।

करते हैं तो लगता है दुश्वार है यह कितना।
कहने को तो दुनिया में हर काम ही आसाँ है।

ग़ैरों से नहीं शिकवा आलम में किसी को भी।
जिसको भी यहाँ देखो अपनों से परेशाँ है।

सुनता ही नहीं मेरी भरता है यह बस आहें।
रूठे है वो जिस दिन से दिल हम से गुरेज़ाँ है।

दिल जिसने लगाया है उस साक़ी ए कौसर से।
लाखों में हज़ारों में अफ़्ज़ल वही इन्साँ है।

दिल जूँ हो भले कोई दिलकश हो भले कोई।
दुनिया में फ़राज़ आख़िर हर शख़्स ही मेहमाँ है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद

उदास दिल सैड शायरी : राहे मुहब्बत अरे बच के चल

ग़ज़ल

आ न जाए क़यामत अरे बच के चल।
यह है राहे मुहब्बत अरे बच के चल।

दुश्मनी सारे आ़लम से हो जाएगी।
मत दिखा तू शराफ़त अरे बच के चल।

दोस्ती ओछे लोगों से अच्छी नहीं।
है बुरी इनकी सोहबत अरे बच के चल।

घूम मत जा बजा क़ब्र गाहों में तू।
हर क़दम पर है तुर्बत आरे बच के चल।

डूब जाए न ले कर तुझे मयकशी।
इसकी अच्छी नहीं लत अरे बच के चल।

हुस्न शौला़ है और तू पतिंगा फ़क़त।
छोड़ दे इस की हसरत अरे बच के चल।

दावत - ए - इश्क़ है हुस्ने उरियाँ फ़राज़।
कर न डाले शरारत अरे बच के चल।

ले लिया रूप नागिन सा इसने फ़राज़।
डस न ले ये सियासत अरे बच के चल।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद

पहला प्यार की उदास शायरी

कितनी प्यारी रदीफ़ है प्यारे।
उस पे बहरे ख़फ़ीफ़ है प्यारे।

मुस्कुराता है ज़ख़्म खा कर भी।
दिल हमारा ज़रीफ़ है प्यारे।

सबको कहता है बद अ़क़ीदा तू।
जैसे तू ही ह़नीफ़ है प्यारे।

उसके बारे में क्या कहूँ वो तो।
नर्म ओ नाज़ुक लतीफ़ है प्यारे।

जिस पे क़ब्ज़ा है उसकी जोरू का।
वो ही सब से ज़अ़ईफ़ है प्यारे।

मुश्तमिल है जो नेक कामों में।
वो ही आ़लम में चीफ़ है प्यारे।

नाज़ करता है किस क़दर ख़ुद पर।
जैसे तू ही शरीफ़ है प्यारे।

तुझ से आती है बू बग़ावत की।
तू ही मेरा हरीफ़ है प्यारे।

रुत बसन्ती फ़राज़ अब कैसी।
अब तो वक़्त -ए-ख़रीफ़ है प्यारे।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद

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