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अफ़सोस है मुझे : अफसोस शायरी Afsos Hai Mujhe - Afsos Shayari

अफ़सोस है मुझे : अफसोस शायरी Afsos Hai Mujhe - Afsos Shayari


अफ़सोस
अफ़सोस है मुझे,
आदमी अब भी जानवर है
करता है हिंसा,
भेड़िया जंगली बानर है

करता है युद्ध,
मारता है इंसानों को
पालता है अहम्,
झोंकता है जवानो को

छीनता है रोटी,
घर बर्बाद करता है
लूटता है इज्जत,
किसे आजाद करता है

मर गई है आत्मा,
प्रतिशोध की आग है
दया दिखती नहीं,
काम क्रोध राग है

अंधी दौड़ में,
सब हो गए शामिल
अपना ही स्वार्थ है,
क्या करेंगे हासिल

मिट गए सारे,
वो मिटाने वाले
ताकत व घमंड,
सब दिखाने वाले

कायर हो गए लोग,
सिर्फ चिल्लाते हैं
छुप गए गुफा में,
मन बहलाते हैं

अफ़सोस, कोई नहीं,
रोके जो उस उदण्ड को
गिरा दे उसे,
तोड़ दे उस घमंड को।।

श्याम मठपाल,उदयपुर

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