Army Wife Poetry For Military Husband in Hindi Army Shayari
वो अपने सिन्दूर को
(मुक्तछंद काव्य रचना)
सिन्दूर अपने माथे पर सजाएं हुए,
आंखें उसकी हर पल रास्ता निहारती है।
नज़रों से बहुत दूर वहां सीमाओं तक,
वो अपने सिन्दूर को रह-रहकर देखती है।
जहां छाए हुए है काले बादल मुसीबतों के,
वहां पल-पल जिंदगी ख़तरे में रहती है।
ना जाने कब कहीं पर होगा मौत का तांडव,
ऐसे माहौल में उसका सिन्दूर पहरा देता है।
ना दिन में है कोई सुकून वहां पर,
ना रातों की नींद उनके नसीब में होती है।
धूप हो या ठंड हो जम जाने वाली,
वही पर उसका सिन्दूर पहाड़ियों में रहता है।
कब क्या आयेगी खबर उसी चिन्ता में,
वो पल-पल यहां पर घबराती है।
साल में कहीं एक बार जब आता है वो,
तब वो अपने सिन्दूर को उसी के हाथों मांग में भरवाती है।
यह कहानी है उस सुहागिन की,
जो इक वीर सिपाही की बीवी बन बैठी है।
वो सभी अपनों से दुर रहकर मातृभूमि के लिए,
दिन रात तिरंगे की हिफाज़त कर रहा है।
सिन्दूर अपने माथे पर सजाएं हुए,
आंखें उसकी हरपल रास्ता निहारती है।
नज़रों से बहोत दूर वहां सीमाओं तक,
वो अपने सिन्दूर को रह-रहकर देखती है।
प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद महाविद्यालय लातूर.
9730661640.
महाराष्ट्र
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