Uljhan Shayari In Hindi Font उलझन जिंदगी शायरी Zindagi Uljhan Shayari
"आज के दौर में उलझन"
उलझ के जिंदगी से परेशान हूँ मैं,
पर बिका नही जो वो इंसान हूँ मैं,,
परिन्दे उड़ते नही अब मेरे शहर में,
रईसों का हड़पा वो आसमान हूँ मैं,,
बस्ता ढोते थक रहा मासूम बचपन,
जानता हूँ मैं भी पर अनजान हूँ मैं,,
अकेले छोड़ मां बाप को दूर गांव में,
नौकरी के लिए अभी तो जवान हूँ मैं,,
मौत चुका गई कर्जा सरकार का,
ख़त्म नही हो रहा वो लगान हूँ मैं,,
गांव छोड़ कर के मजदूर बन गया,
पेट के आगे बेबस पर किसान हूँ मैं,,
उलझा उलझा इंसान आज के दौर में,
जर्जर काया के चेहरे का गुमान हूँ मैं...
आनंद पाण्डेय
"केवल"
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