जख्मी दिल ज़ख़्म शायरी : जख्म था वो हरा-हरा Zakhmi Dil Zakhm Shayari
संग संग चला साया
जख्म था वो हरा-हरा,
सहता रहे बेचारा,
खुशियों का मारामारा,
अश्क लिए नैनों में।
रोता रहा उम्रभर,
कांटों भरा था सफर,
मिली ना राहत कभी,
अश्कों की बारिश में।
सच्चाई मन में लिए,
ग़म दिल में छुपाएं,
बनके चला वो राही,
अकेला संसार में।
मिली ना कभी खुशियां,
संग संग चला साया,
बनके हम सफ़र,
जीवन के राहों में।
प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद महाविद्यालय लातूर
9730661640
महाराष्ट्र
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