पास बुलाने की शायरी : इक बार चले आओ....
इक बार चले आओ....
प्रियवर करता हूँ सुनों, दिल से तुझे प्रणाम।
सोता जागता हूँ सदा, लेकर तेरा नाम।।
आँखों में सपने, लब पर तेरा नाम।
हरदम तेरा रूप मैं, देखूँ सुबहो शाम।।
दिल में रहती हो सदा, धड़कन बनके मोर।
तू हीं तू दिखती मुझे, प्रियतम चारो ओर।।
आँखों से नींदें गई, दिल से लूटा है चैन।
हर दिन हर पल ढूँढते, तुझको मेरे नैन।।
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू
पास आओ क्यों दूर हो,
आप ही दिल की हूर हो।
आप ही दिल की हूर हो।
दूर पास शायरी - प्यार से दूर जाने की शायरी
क्यों दूर हो
गजल
पास आओ क्यों दूर हो,
आप ही दिल की हूर हो।
पास आओ क्यों दूर हो,
आप ही दिल की हूर हो।
प्यार में पागल हो चुके,
हिय जिगर का तुम नूर हो।
देख कर हो बीसों गुना,
हौसले से भरपूर हो।
ताक से रहना घूरना,
आदतों से मजबूर हो।
जीत ली हमने हर खुशी
स्नेह में चकना चूर हो।
यार मनसीरत ने कहा,
हो चमकती सी भूर हो।
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
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