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जिंदगी में उतार चढ़ाव शायरी जिंदगी की सच्चाई शायरी

Zindagi Mein Utar Chadhav Shayari Zindagi Ki Sachai Shayari

देखी है
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जिंदगी दांव खेलती बड़े-बड़े
देखी है फर्श से अर्श तक
और अर्श से फर्श तक पहुंचते हुए।
बड़े-बड़े सीधे तने दरख़्तों को
कल तक जो आसमान से बातें करते हैं
आज उनका नामोनिशान मिटते देखा है हमने।
बड़ी-बड़ी गगनचुंबी इमारतों को
पल में जमींदोज होते देखा। 
झुग्गी में रहते, फांके लगाते
मेहनतकश, नेक नियत इंसान को
प्राइवेट जेट और महलों में
बसते भी देखा है हमने।
कभी बड़े से पांच सितारा होटल का
उद्घाटन करने वाले शख्स को
उसी होटल के बाहर पेड़ तले सोते भी देखा है, 
यह किस्मत है जनाब कुछ भी हो सकता है।
आश्चर्य ना करें  जब उसी महल के 
द्वारपालों ने  दुत्कारा
जिस महल का मालिक था मैं, 
देखी है हमने।
औरों को क्या कहें, 
9 माह पेट में रखने वाली मां पर भी
बच्चों को लांछन लगाते देखा, 
कुत्तों को प्यार से पालते पर उन्हें भी
अपने जन्मदाता को दुत्कारते देखा
जिनके लिए उम्र गंवा दी शौक मार दिए
जीवन के, उसूलों के पक्के कहे जाने वाले को भी को तोड़ते देखा है हमने।
तुम मां बाप को ही बच्चों को बेचते देखा है हमने
ना जाने क्या मजबूरियां रही होगी उनकी लेकिन दिल कांप उठा जनाब आंखों ने 
सब कुछ देखा क्या गलत क्या सही
देखी है हमने इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मंजर।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना

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