इंतज़ार के पन्नों पर इंतज़ार पर शायरी Intezar Shayari Hindi
इंतजार शायरी | Intezar Shayari
इंतजार के पन्नों पर
वक्त की कलम ने
अपनों को घसीटा--
इंतजार के पन्नों पर,
सुबह होने का इंतजार,
शाम होने का इंतजार--
वक्त गुजरने का इंतजार।
राह से गुजरते हैं दीवाने
डालते नजरें घड़ियों पर--
वक्त की पाबंदी छोड़ती,
दौड़ती पवन के घोड़ों पर,
गुज़ारिश करते वे दिल थाम,
पैगाम देगा कभी इंतजार।
सफर लंबा क्यों न हो,
मिल जाए साथी तो सही,
महफ़िल में शमा जलायेंगे,
रूप ही तब शर्मायेगा,
देख निशा तेरा पट अनाम--
कट जाने दो सुनहरा इंतजार।
स्वप्न में आते सुनहरे बादल,
चुपके से आती सुबह कभी,
खामोशी के पर्दे पर झलकती,
उलझनों के तारों से बुनी चादर
वह खुशी मिली थी चंद दिन,
लौट आओ मेरी प्यासी नजर, इंतजार।
तुम्हारे दामन में लगे कितने दाग,
उन पर उभरते थे हर दिन,
एक-एक तुम्हारे नये चित्र --
छूता न था तुम्हें दर्प जब,
दर्पण में देख खुद लजाते,
खुश रहो खुदाबख्श मेरे इंतजार।
(स्वरचित)
डॉ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार
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