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गांव की मिट्टी पर शायरी : कितना प्यार करते औरंगाबाद से हम

गांव का प्यार शायरी : कितना प्यार करते औरंगाबाद से हम


aurangabad bihar


घर वापसी पर शायरी

कैसे बतायें हम तुम्हें 

कैसे बतायें हम तुम्हें, 
मेरे दोस्त, हमदम, 
कितना प्यार करते, 
औरंगाबाद से हम।
कैसे बतायें हम...।

यहीं से मिली मुझे खुशियाँ, 
यहीं से मिले हैं गम, 
यहीं से मेरी जवानी शुरू, 
यहीं हो मेरी जिन्दगी खत्म।
कैसे बतायें हम...।

यहीं पर हम पले-बढ़े, 
सफलता की सीढ़ी चढ़े, 
दिल में है आस यहीं, 
रहूँ यहाँ जन्म-जन्म। 
कैसे बतायें हम...।

लेकर आये थे तरुणाई, 
यहीं हुये हम जवान, 
यहीं बने "अकेला" हम, 
पर सरोकार नहीं हुआ कम।
कैसे बतायें हम...।

देखते-देखते हम यहीं बने, 
कवि, लेखक, पत्रकार, 
कुछ लोंगो ने प्यार दिया
कुछ लोगो ने दिये जख्म। 
कैसे बतायें हम...।

यहीं हमें प्यार हुआ, 
यहीं बढ़े मेरे कदम, 
शादी हुयी यहीं हमारी, 
बने हम बलम।
कैसे बतायें हम...।

रह रहे हैं राजधानी में, 
जहाँ घुट रहे मेरे दम, 
फिर भी औरंगाबाद से, 
प्यार नही हुआ है कम।
कैसे बतायें हम...।
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अरविन्द अकेला, पूर्वी रामकृष्ण नगर, पटना-27

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