Masti Bhari Ghazal Shayari In Hindi : Badi Mithi Jawani Ho Gai Hai
पढ़िए—
रोमांटिक शायरी हिंदी में Romantic Ghazal Shayari in Hindi
Ghazal - ग़ज़ल
वो ज्यादा ही सयानी हो गयी है
वो अब महलों की रानी हो गयी है
हुई है गुफ्तगू उर्दू जुबां में
घरों में गुलफिशानी हो गयी है
🌋
शहादत फौजियों को मिल गयी है
बसंती - रूत सुहानी हो गयी है
🌅
छुपाते है दुखों को अपने मुझ से
सहेली अब सयानी हो गयी है
🎎
अजी ! मेरे गले लग कर न रोई
वो लड़की अब सयानी हो गयी है
💏
दिवानावार मिलने आ गयी वो
मिलन की रूत सुहानी हो गयी है
❤️❤️
नहीं अब खौफ है दुनिया से मुझको
सजन की पासबानी हो गयी है
💃💃
मिला है क्या मज़ा मिलकर के तुमसे
बड़ी मीठी जवानी हो गयी है
अजीयतनाक है उस की जुदाई
फना मेरी जवानी हो गयी है
👨❤️💋👨
" रफी जी" ने दिखाई वो जसारत
" लता" भी पानी-पानी हो गयी है !
न आ हम मुफलिसो के सपनों में अब
कि तू महलों की रानी हो गयी है
बदल जाती है मौसम की तरह वह
तवाइफ की कहानी हो गयी है
मेरी शमा-ए-वफा बुझती नहीं है
हवा भी पानी-पानी हो गयी है
किसी से कर तो बैठा हूँ मुहब्बत
मगर मुश्किल निभानी हो गयी है
किसी के हिज्र के बाअस,अजीजो
फना मेरी जवानी हो गयी है
नयी और उम्दा गजलें ही सुनाओ
गजल ये तो पुरानी हो गयी हैै
डॉकटर रामचन्द्र दास प्रेमी राज चंडी गढी
द्वारा डॉकटर इनसान प्रेमनगरी,डॉकटर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल,डॉकटर खदीजा नरसिंग होम,रांची हिल साईड,इमामबाड़ारोड राँची-834001
रंगीन, हसीन, महीन, ग़ज़ल शायरी काॅलेजों के मंचले नौजवानों के लिए
------------------------
काॅलेजों के मंचले नौजवानों के लिए
--------------
ज़रीना भी सयानी हो गयी है!
मिसाली, हुस्ने-सानी हो गयी है!
ज़माना है अली बाबा का अब भी!
ये मरजीना, सयानी हो गयी है!!
सयाना हो गया याक़ूत भी है!
बेगम रज़्या, सयानी हो गयी है!
जवानी वाली अब तेरी जवानी!,
छलकती सी जवानी हो गयी है!
हसीना!मस्त जोबन वाली गोरी!
नज़र तेरी, सयानी हो गयी है!
मुहब्बत हो गयी, सरमस्त अब तो!
रफ़ीक़ों की जवानी हो गयी है!!
हसीनाओं!, सुनो!, बद-मस्त अब तो,
हमारी भी जवानी हो गयी है!!
चने के खेत से आई है, फिर भी,
चुनरिया इस की, धानी हो गयी है!
मियाँ!, है ये पसीने में शराबोर!
हसीना पानी - पानी हो गयी है!
हसीना, रात-भर, धुनवाई है, क्या!?
के, देखो!, पानी-पानी हो गयी है!!
अलामत के चंगुल से छूटी है ये!
ग़ज़ल, फिर, दास्तानी हो गयी है!
ग़ज़ल, अब भी, तरो-ताज़ा है, यारो!
ग़ज़ल, कैसे ?, पुरानी हो गयी है!
-------------------------------------------
इस त़वील ग़ज़ल के दीगर शेर-व-सुखन आइंदाफिर कभी पेश किए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह!
--------------------------------------------
रामदास प्रेमी इन्सान प्रेमनगरी,
डाक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी बिल्डिंग्, ख़दीजा नरसिंग, राँची हिल साईड, इमामबाड़ा रोड, राँची, झारखण्ड, इन्डिया!
इसी बहर और ज़मीन में पेश है एक और जावेद गजल जदीद-व-मुन्फरिद, उम्दा-व-तुर्फा ग़ज़ल
------------------
हर इक बिप्ता पुरानी हो गयी है!
अजब, अपनी कहानी हो गयी है!
" बेलाली"और"अज़ानी" हो गयी है!
" अक़ीदत ", " जाविदानी" हो गयी है!
मुहब्बत मिट नहीं सकती कभी भी!
" मुहब्बत ", " जाविदानी" हो गयी है!
मुहब्बत में अजब सरशार अब तो,
रफ़ीक़ों की जवानी हो गयी है!!
नहीं है इश्क़ो-उल्फ़त का ज़माना!
" मुहब्बत " अब " कहानी " हो गयी है
हक़ीक़त में मुहब्बत अब नहीं है!!
" मुहब्बत " अब " कहानी " हो गयी है
रफ़ीक़ो!, " हुस्ने-यूसुफ़" पर फ़िदा फिर
" ज़ुलेख़ा " की " जवानी " हो गयी है!
चिंता की बात है, "शैख़े-हरम " अब
तेरी दुनिया, पुरानी हो गयी है!!
नयी " चड्डी " ले-ले, " शैख़े-हरम" अब
तेरी " चड्डी " पुरानी हो गयी है!!
है " हेमा मालिनी " का " हुस्न " जैसे!
" धरम " की, क्या, " जवानी" हो गयी है!
--------------------------------------------
नोट :- इस त़वील ग़ज़ल के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह!
--------------------------------------------
रामदास प्रेमी इन्सान प्रेमनगरी,
डाक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी बिल्डिंग्, ख़दीजा नरसिंग, राँची हिल साईड, इमामबाड़ा रोड, राँची, झारखण्ड, इन्डिया!
0 Comments